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Wednesday, May 31, 2023

यदि बीमा कंपनी देयता से मुक्त होती है तो दुर्घटना पीड़ित के परिजन अपील दायर कर सकते हैं: बॉम्बे हाईकोर्ट - Live Law Hindi

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि चालक का लाइसेंस समाप्त होने के बावजूद वाहन दुर्घटना में उसकी मृत्यु के लिए चालक के परिजनों को इस आधार पर मुआवजा दिया जाए कि एक्सपायर्ड लाइसेंस उसे "अकुशल चालक" नहीं बना देगा।

जस्टिस शिवकुमार डिगे ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल का वह आदेश रद्द कर दिया, जिसमें एक्सपायर्ड ड्राइविंग लाइसेंस के कारण बीमा कंपनी को किसी भी देनदारी से मुक्त किया गया था। अदालत ने आगे ऐसे मामले में अपील करने के मूल दावेदार के अधिकार को बरकरार रखा।

अदालत ने कहा कि मोटर वाहन एक्ट की धारा 173 में कहा गया कि ट्रिब्यूनल के फैसले से पीड़ित कोई भी व्यक्ति अपील दायर कर सकता है। इसलिए "अपीलकर्ताओं को दावेदार होने के नाते अपील दायर करने का अधिकार है।"

मामले के तथ्य

23 नवंबर 2011 को मृतक आशा बाविस्कर अपने पति के साथ पीछे बैठी थी जब ट्रक ने उनके वाहन को ओवरटेक करने की कोशिश की। बाविस्कर ट्रक की चपेट में आ गया और ट्रक के पिछले पहिए की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई।

ट्रिब्यूनल ने ट्रक मालिक को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया, लेकिन बीमा कंपनी को दायित्व से मुक्त कर दिया, क्योंकि ट्रक चालक का लाइसेंस दुर्घटना से चार महीने पहले समाप्त हो गया था, जिसका अर्थ है कि उसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।

इस अवार्ड के खिलाफ पीड़िता के परिजनों ने बीमा कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की।

बीमा कंपनी का तर्क था कि ट्रक मालिक 'पीड़ित व्यक्ति' की परिभाषा में आएगा और एमवी एक्ट की धारा 173 के तहत अपील दायर कर सकता है। पीडि़त व्यक्ति शब्द को एमवी एक्ट के तहत परिभाषित नहीं किया गया और दावेदारों को केवल बीमा कंपनी से मुआवजा प्राप्त करने के लिए पीड़ित व्यक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता।

हालांकि, दुर्घटना के समय अदालत के विचार में उल्लंघन करने वाले ट्रक का बीमा कंपनी द्वारा बीमा किया गया। अदालत ने कहा कि मुआवजे की क्षतिपूर्ति करने के लिए बीमा कंपनी की संविदात्मक देयता है।

अदालत ने कहा,

“दुर्घटनाग्रस्त वाहन के चालक के ड्राइविंग लाइसेंस को दुर्घटना के समय नवीनीकृत नहीं किया गया। इसका मतलब यह नहीं है कि वह कुशल चालक नहीं था।”

गौरतलब है कि कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुआवजा देने और ट्रक मालिक से इसकी वसूली करने का आदेश दिया था।

अदालत ने कहा,

"यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि अगर दुर्घटना के समय चालक के पास प्रभावी और वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तो बीमा कंपनी को पहले मुआवजा देना होगा और इसे उल्लंघन करने वाले वाहन के मालिक से वसूल करना होगा।"

अदालत ने कहा कि हालांकि ट्रक मालिक ने आक्षेपित आदेश को चुनौती नहीं दी तो यह नहीं कहा जा सकता कि दावेदार इसे चुनौती नहीं दे सकते। इसलिए मेरा मानना है कि कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपील दायर कर सकता है।

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Tuesday, May 30, 2023

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा: सरकारी से निजी अस्पताल में जाकर इलाज लापरवाही नहीं, पीड़ित मुआवजे का हकदार - अमर उजाला

Punjab-Haryana High Court said treatment by going from government to private hospital is not negligence

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मोटर वाहन हादसे में अपना हाथ गंवाने वाले पीड़ित को मुआवजे का हकदार मानते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी अस्पताल से निकल कर ऑपरेशन के लिए निजी अस्पताल का चुनाव करना इलाज में लापरवाही नहीं है।

मोटर वाहन हादसे के मामले में वाहन मालिक की दलील को हाईकोर्ट ने किया अस्वीकार
याचिका दाखिल करते हुए मोटर वाहन मालिक अमनदीप सिंह ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल रोपड़ के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे हादसे में हाथ गंवाने वाले कारपेंटर कर्मजीत सिंह को मुआवजे के रूप में 6 लाख 84 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। शिकायत के अनुसार कर्मजीत सिंह अपने पिता के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहा था।

हादसे में अपना हाथ गंवाने वाले कारपेंटर को माना मुआवजे का हकदार
इस दौरान याची अपनी बाइक पर लापरवाही से आया और शिकायतकर्ता की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इस हादसे के कारण कर्मजीत व उसके पिता गिर गए और बुरी तरह से घायल हो गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां से उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। बाद में इलाज के दौरान कर्मजीत सिंह की बाजू काटनी पड़ी और इस मामले में ट्रिब्यूनल ने याची को मुआवजे की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।

शिकायतकर्ता ने डाक्टरों की सलाह ली
याची ने कहा कि पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज जारी रखने के स्थान पर शिकायतकर्ता ने डाक्टरों की सलाह के खिलाफ जाकर अस्पताल से छुट्टी ली। इसके बाद उसने एक निजी अस्पताल में इलाज आरंभ किया और बाद में उसे अपनी बाजू गंवानी पड़ी। याची ने कहा कि यह शिकायतकर्ता की इलाज में लापरवाही थी जिसका नतीजा उसे बाजू गंवा कर भुगतना पड़ा। ऐसे में याची को इसके लिए मुआवजा देने को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।


कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने सरकारी अस्पताल से इलाज के दौरान छुट्टी ले ली और आगे का इलाज निजी अस्पताल में करवाया इसे इलाज में लापरवाही नहीं माना जा सकता। ऐसे में याची की इस संदर्भ में दी गई दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़ित को मुआवजे का पात्र करार दिया।

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सब्सिडी घोटाला : हेराफेरी से बिका हर दूसरा दोपहिया वाहन, सरकार ने रकम में की कटौती, महंगी हो जाएंगी गाड़ियां - अमर उजाला

Subsidy scam: Every second two-wheeler sold by rigging, government cuts amount, vehicles will become expensive

दो पहिया ईवी (सांकेतिक तस्वीर)। - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

सब्सिडी लेने के नाम पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियों ने बड़ा हेर-फेर किया है। हर दूसरा वाहन इस हेराफेरी के जरिये बिका है। इसे देखते हुए सरकार ने गलत तरीके से ली गई कंपनियों की सब्सिडी राशि में कटौती कर दी है। इससे एक जून से कई कंपनियों के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन 25-40 हजार रुपये तक महंगे हो जाएंगे।

हेरा-फेरी की जांच से जुड़े लोगों का दावा है कि स्थानीयकरण के मानकों को पूरा करने के नाम पर कंपनियों ने सरकार से सब्सिडी हासिल कर ली है। हकीकत यह है कि कंपनियों ने विदेश से कलपुर्जे मंगाकर वाहनों का निर्माण किया और सरकार से सब्सिडी ले ली। इस मामले की जांच कर रही एजेंसी ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कंपनियों ने इलेक्ट्रिक मोटर, कंट्रोलर और ऑन बोर्ड चार्जर्स को विदेश से मंगाकर दो पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण किया है। 

सरकार ने रोकी 1400 करोड़ की सब्सिडी
सरकार ने इस खुलासे के बाद 1400 करोड़ रुपये की सब्सिडी रोक दी है। फेम सब्सिडी के तहत हेरा-फेरी को लेकर हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा और ओला, ग्रीव्स कॉटन के नाम सामने आए हैं। आरोप हैं कि इन कंपनियों ने फेम-2 स्कीम के तहत सब्सिडी पाने के लिए विदेशी पुर्जों का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में किया और उन्हें घरेलू बताया है।

  • केंद्र सरकार ने ओकिनावा ऑटोटेक पर 116 करोड़ का रिकवरी नोटिस जारी किया है। हीरो इलेक्ट्रिक को 133 करोड़ रुपये वापस करने को कहा गया है। ओला इलेक्ट्रिक 130 करोड़ रुपये लौटाने का तैयार हो गई है।

फेम-2 के तहत कीमत 1.50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए
केंद्र सरकार फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक (फेम) योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को सब्सिडी देती है। सब्सिडी लेने लिए कंपनियों को दो पहिया वाहन की कीमत अधिकतम 1.5 लाख रुपये रखना होता है। वाहन में लिथियम ऑयन बैटरी का इस्तेमाल भी जरुरी है। वहीं 50 फीसदी से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग स्थानीय स्तर पर होनी चाहिए।

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Monday, May 29, 2023

शहर में फर्जी मोटर ट्रेनिंग स्कूल की मिली शिकायत जांच के लिए आरटीओ कार्यालय लाए गए वाहन - ETV Bharat Uttar Pradesh

लखनऊ : राजधानी में फर्जी लाइट मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की शिकायत परिवहन विभाग को मिली है. इसके बाद सभी मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को नोटिस जारी कर अपने वाहन जांच के लिए आरटीओ कार्यालय लाने के निर्देश दिए गए. इसके बाद सोमवार को कई लाइट मोटर ट्रेनिंग स्कूलों के संचालक अपने वाहनों के साथ आरटीओ कार्यालय पहुंचे. परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इन वाहनों की जांच की और जो भी खामियां मिलीं, उन्हें शीघ्र दूर करने के निर्देश दिए. जिन स्कूलों के संचालक अपने वाहन लेकर आरटीओ कार्यालय नहीं पहुंचे उनको नोटिस जारी किया गया.

खामियों के बाद भी संचालित हो रहे वाहन : शहर के मोटर ट्रेनिंग स्कूलों के बारे में परिवहन विभाग के अधिकारियों को शिकायत मिली थी कि स्कूल संचालकों के जितने वाहन आरटीओ कार्यालय में रजिस्टर्ड हैं, उससे ज्यादा संचालित करा रहे हैं. इतना ही नहीं विभागीय निर्देश के बाद भी वाहनों की तकनीकी खामियां दूर नहीं कर रहे हैं. सोमवार को ऐसे लाइट मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालकों को वाहन लेकर आरटीओ कार्यालय तलब किया गया था. शहर में कुल 35 लाइट मोटर ट्रेनिंग स्कूल हैं, जिनमें से 19 मोटर ट्रेनिंग स्कूलों के संचालक अपने वाहन लेकर आरटीओ कार्यालय पहुंचे थे. इस दौरान उनके वाहनों में फायर एक्सटिंग्विशर, वाहन का कलर, वाहन की लाइट, हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट, वाहन में ब्रेक की स्थिति और अन्य तकनीकी जांच की गई. इनमें ज्यादातर वाहनों में फेड कलर की दिक्कत थी. कुछ वाहनों में लाइट की समस्या थी और कुछ में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं लगी थी. इन सभी स्कूल संचालकों को सभी खामियां दुरुस्त कर तीन दिन के अंदर फिर से आरटीओ कार्यालय में वाहन चेक कराने के लिए बुलाया गया है.

क्या कहते हैं अधिकारी : आरटीओ कार्यालय में तैनात आरआई संजीत कुमार ने बताया कि 'लाइट मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालकों को वाहनों की जांच के लिए आरटीओ कार्यालय बुलाया गया था. कई स्कूल संचालक अपने वाहन लेकर आरटीओ कार्यालय आए थे. उनके वाहनों की जांच की गई. जिन वाहनों में खामियां मिली हैं, उन्हें दूर करने के निर्देश दिए गए हैं. तीन दिन में वापस वाहनों की जांच के लिए बुलाया गया है, जो मोटर ट्रेनिंग स्कूल संचालक आज अपने वाहन लेकर आरटीओ कार्यालय नहीं आए, उनको नोटिस जारी किया गया है.'

यह भी पढ़ें : चप्पल पहनकर गाड़ी चलाई तो कट जाएगा चालान, देखें ऐसे ही कई अजीबो-गरीब नियम

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Sunday, May 28, 2023

पुराने शेवरले को बनाया घर, 35000 किमी यात्रा, देश में पहली बार रथ यात्रा निकालने वाले इस नेता को जानते हैं आप? - NBT नवभारत टाइम्स (Navbharat Times)

Curated by शशि मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 28 May 2023, 1:29 pm

NT Rama Rao Birthday: 28 मई को एनटीआर का जन्म शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। राजनीति में प्रवेश की घोषणा से लेकर 1983 के विधानसभा चुनाव से पहले तक, एनटीआर के चलाए गए अभियान और मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से लेकर नए मंत्रिमंडल के फैसलों तक, उन्होंने जो कुछ भी किया वह नाटकीय था। 12 वर्षों के अपने संक्षिप्त राजनीतिक जीवन में, एनटीआर सात वर्षों तक तीन बार सीएम रहे। लेकिन इस दौरान उन्होंने दिखा दिया कि यदि शासक के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो वह अपनी प्रजा की भलाई के लिए बड़े निर्णय ले सकता है।

 

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पुराने शेवरले को बनाया घर, 35000 किमी यात्रा, देश में पहली बार रथ यात्रा निकालने वाले इस नेता को जानते हैं आप? - NBT नवभारत टाइम्स (Navbharat Times)

Curated by शशि मिश्रा | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 28 May 2023, 1:29 pm

NT Rama Rao Birthday: 28 मई को एनटीआर का जन्म शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है। राजनीति में प्रवेश की घोषणा से लेकर 1983 के विधानसभा चुनाव से पहले तक, एनटीआर के चलाए गए अभियान और मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने से लेकर नए मंत्रिमंडल के फैसलों तक, उन्होंने जो कुछ भी किया वह नाटकीय था। 12 वर्षों के अपने संक्षिप्त राजनीतिक जीवन में, एनटीआर सात वर्षों तक तीन बार सीएम रहे। लेकिन इस दौरान उन्होंने दिखा दिया कि यदि शासक के पास राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो वह अपनी प्रजा की भलाई के लिए बड़े निर्णय ले सकता है।

 

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Friday, May 26, 2023

Madhya Pradesh News: राज्य सरकार ने वाहनों पर टैक्स भार घटाया, यात्री बसों के लिए प्रति सीट 200 रुपये देना.. - Nai Dunia

Madhya Pradesh News: भोपाल (राज्य ब्यूरो)। विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार जनता के हित में नित नए निर्णय ले रही है। इसी क्रम में अब मध्य प्रदेश सरकार ने यात्री बसों का टैक्स भार घटाया है। परिवहन विभाग ने मप्र मोटरयान कराधान अधिनियम 1991 में बदलाव नए टैक्स निर्धरित किए हैं। संशोधित शुल्क आगामी 19 जून के बाद पूरे राज्य में प्रभावशील होंगे।

वाहन बेचने वाले डीलरों को भी व्यापार प्रमाण-पत्र लेने पर अब स्लैब के अनुसार शुल्क देना होगा। इसके अलावा सरकारी वाहन पर उसकी आयु के हिसाब से लाइफ टाइम टैक्स लिया जाएगा। परिवहन विभाग ने वाहनों के मानक मूल्य भी तय कर दिए हैं।

भारत में निर्मित वाहन के मानक मूल्य में एक्स शोरूम मूल्य, जीएसटी एवं क्षतिपूर्ति उपकर भी शामिल रहेगा या डीलर द्वारा जारी वाहन के मूल्य का बीजक, इनमें से जो भी ज्यादा हो, मानक मूल्य रहेगा। विदेश से आयात कर भारत लाए वाहन के मानक मूल्य में सीमा शुल्क विभाग द्वारा दी लैंड वेल्यु जिसमें सभी कर शामिल हैं, सम्मिलित रहेगा।

यात्री बस, स्कूल बस और माल वाहक वाहनों के लिए नए टैक्स किए निर्धारित

आल इंडिया परमिट वाली बसों जिनमें बैठक क्षमता 13 प्लस एक या अधिक है और निजी सेवा वाहन के रुप में अन्य राज्य से जारी अनुज्ञा पत्र पर मध्य प्रदेश में संचालित हो रही है, उन्हें 200 रुपये प्रति सीट टैक्स देना होगा। पहले यह टैक्स 700 रुपये प्रति सीट था।

शैक्षणिक संस्था की बस/स्कूल बस के रूप में अन्य राज्य से जारी अनुज्ञा पत्र पर मध्य प्रदेश में संचालित होने वाले वाहन पर अब टैक्स 12 रुपये प्रति सीट प्रति वर्ष होगा। इसके अलावा, 7500 किलोग्राम तक वाले माल वाहक वाहनों पर टैक्स उसके मानक मूल्य का आठ प्रतिशत होगा, जबकि 7500 किलोग्राम से अधिक के माल वाहक वाहनों पर टैक्स उसके मानक मूल्य का पांच प्रतिशत होगा जोकि पहले सात प्रतिशत था। वास्तविक किसानों से भिन्न व्यक्तियों द्वारा कृषि प्रयोजनों के उपयोग के लिए आशयित ट्रैक्टर, ट्रैक्टर-ट्रेलर, ट्रैक्टर अनुयान, कंबाईन- हारवेस्टर और पावर टिलर वाहन पर टैक्स उसके मानक मूल्य का एक प्रतिशत होगा।

डीलरों को स्लैब के अनुसार वाहन पर प्रति वर्ष देना होगा शुल्क

वाहन बेचने वाले डीलरों को भी व्यापार प्रमाण-पत्र लेने पर अब स्लैब के अनुसार शुल्क देना होगा। पहले नगर निगम सीमा के अंदर मोटर साइकल के लिए 12 हजार रुपये एवं अन्य वाहनों 16 हजार रुपये एवं नगर निगम सीमा के बाहर क्रमशः आठ हजार एवं 10 हजार रुपये शुल्क लगता था। लेकिन अब स्लैव बनाकर इस शुल्क का निर्धारण कर दिया गया है।

वाहन-- शुल्क प्रति वर्ष

मोटर साइकल -- 20 हजार रुपये

दिव्यांगजनों के रुपांतरित वाहन -- 500 रुपये

हल्के मोटर वाहन -- 30 हजार रुपये

मध्यम यात्री वाहन -- 40 हजार रुपये

भारी यात्री वाहन/ भारी माल वाहक-- 50 हजार रुपये

ई-रिक्शा /ई कार्ट -- पांच हजार रुपये

अन्य श्रेणी के वाहन -- 30 हजार रुपये

सरकारी वाहन पर उसकी आयु के हिसाब से लाईफ टाईम टैक्स लिया जाएगा

नीलामी में खरीदें सरकारी वाहन पर अब उसकी आयु के हिसाब से लाईफ टाईम टैक्स लिया जाएगा। पहले ऐसे सरकारी वाहन को नीलामी में खरीदने पर उसके पहले पंजीयन के समय के मूल्य पर लाईफ टाईम टैक्स देना पड़ता था। इसके अलावा अन्य राज्यों से मध्य प्रदेश में लाए गए पुराने वाहनों पर भी 80 प्रतिशत तक टैक्स लिया जाता था। इसमें बदलाव किया गया है।

सरकारी वाहन खरीदने पर 93 से 16 प्रतिशत तक लगेगा टैक्स

- एक वर्ष पुराने वाहन पर 93 प्रतिशत

एक से दो वर्ष के वाहनों पर 86 प्रतिशत

दो से तीन वर्ष के वाहनों पर 79 प्रतिशत

तीन से चार वर्ष के वाहनों पर 72 प्रतिशत

चार से पांच वर्ष के वाहनों पर 65 प्रतिशत

पांच से छह वर्ष के लिए 58 प्रतिशत

छह से सात वर्ष के लिए 51 प्रतिशत

सात से आठ वर्ष के लिए 44 प्रतिशत

आठ से नौ वर्ष के लिए 37 प्रतिशत

नौ से 10 वर्ष के लिए 30 प्रतिशत

10 से 11 वर्ष के लिए 23 प्रतिशत

11 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों पर 16 प्रतिशत

Posted By: Hemant Kumar Upadhyay

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Mahindra Mahindra ने तोड़े कमाई के सभी रिकॉर्ड चौथी तिमाही में कंपनी को 2637 करोड़ रुपये का मुनाफा.. - दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

Mahindra Mahindra ने शुक्रवार को कहा कि 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही के लिए कर के बाद उसका समेकित लाभ 18 प्रतिशत बढ़कर 2637 करोड़ रुपये हो गया है। ये लाभ मोटर वाहन कृषि उपकरण और वित्तीय सेवा व्यवसाय वर्टिकल में जबरदस्त प्रदर्शन के चलते हुआ है।

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Thursday, May 25, 2023

अगर की ये गलतियां तो जब्त हो सकता है Driving License भारी-भरकम चालान के लिए भी रहिये तैयार.. - दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

क्या आपको पता है कि अच्छी-खासी मशक्कत करने के बाद मिली ड्राइविंग लाइसेंस आपकी छोटी सी गलती की वजह से छिन भी सकती है। अपने इस लेख में हम आपको इसके बारे में ही बताने वाले हैं। (फाइल फोटो)।

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Wednesday, May 24, 2023

मोटर वाहन चेकिंग अभियान: लापरवाह 30 वाहन चालकों से 9 हजार का जुर्माना वसूला - Dainik Bhaskar

बालोद9 घंटे पहले

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सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने राजहरा क्षेत्र में विशेष मोटर वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया। वहीं सड़क किनारे अवैध रूप से सामान निकालकर व्यवासाय करने वालों को समझाइश दी गई। 30 लापरवाह वाहन चालकों के विरूद्व कार्रवाई कर 9 हजार का जुर्माना वसूला गया। इस मोटर वाहन चेकिंग का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना एवं लापरवाह वाहन चालकों पर सख्ती कर यातायात नियमों से लोगों को जागरूक करना है।

राजहरा शहर में रोड़ किनारे अवैध रूप से सामान निकालकर व्यवसाय करने वाले व्यापारियों, छोटे दुकानदारों को समझाइश दी गई कि दुकान के अंदर रखकर ही सामान की खरीदी-ब्रिकी करें। अपनी दुकान के सामने निर्धारित स्थानों में ही वाहनों की पार्किंग करवाएं।

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Sunday, May 21, 2023

अवैध रूप से बदले गए वाहन अब कड़ी कार्रवाई को आमंत्रित करेंगे: केरल परिवहन विभाग - Janta Se Rishta

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Saturday, May 20, 2023

मऊ में 21 को लगेगी राष्ट्रीय लोक अदालत: सुबह 10 से शाम 4 बजे तक होगा आयोजन, मोटर वाहन दुर्घटना, बीमा समेत क... - Dainik Bhaskar

मऊएक घंटा पहले

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मऊ जनपद के दीवानी न्यायालय परिसर में 21 मई को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाना है। राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न प्रकार के मामलों का निस्तारण सुलह समझौते के आधार पर किया जाता है।

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार दिनांक 21 मई 2023 दिन रविवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाना सुनिश्चित है। उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में तहसील न्यायालय से लेकर किसी भी न्यायालय अथवा विभागीय मामलों को सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित करने के लिए लम्बित मामलों से छुटकारा पाने का स्वर्णिम अवसर है।

उपर्युक्त के सम्बंध में वादीकारीगण की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए दीवानी न्यायालय में दिनांक 21 मई 2023 दिन रविवार को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन सुबह 10 बजे से सांय 4 बजे तक किया जायेगा। यह जानकारी स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष ने दी है।

स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष अभिमन्यु(

स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष अभिमन्यु(

स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष अभिमन्यु ने बताया कि 21 मई को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन दीवानी न्यायालय परिसर में किया जाएगा। जनपद के विभिन्न विभागों एवं जन सामान्य से अपील है कि वह अपने मामलों को राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित करा सकते हैं। राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर पूरे दिन विभिन्न मामलों का निस्तारण विभिन्न विभागों द्वारा किया जाएगा।

राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जन सामान्य के लिए किया जाता है। जिससे हर गरीब व्यक्ति को न्याय मिल सके और एक छत के नीचे सभी विभागों को बिठाकर दौड़ भाग से भी छुटकारा दिया जाता है। ऐसे में अपने किसी भी मामले को राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत निस्तारित करें।

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Friday, May 19, 2023

भारी माल वाहन लाइसेंस वाले ड्राइवर भी यात्री ले जाने वाले वाहन चला सकते हैं: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट - Live Law Hindi

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Thursday, May 18, 2023

नोटिस: 13.23 करोड़ मोटर व्हीकल टैक्स जमा नहीं करने वाले 2791 वाहन मालिकों को - Dainik Bhaskar

गोपालगंज6 घंटे पहले

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मोटर व्हीकल टैक्स जमा नहीं करने वाले वाहन मालिकों एक टैक्स की वसूली प्रक्रियाधीन है। जो वाहन मालिक टैक्स जमा नहीं करेंगे,उनके विरुद्ध सर्टिफिकेट केस भी दर्ज होगा। जिले के 2791 वाहन मालिकों पर सरकार का 13 करोड़ 23 लाख 57 हजार 836 रुपए मोटर व्हीकल टैक्स बकाया है। जिसकी वसूली के लिए विभाग ने वाहन मालिकों को नोटिस जारी किया है। जिसमें एक लाख रुपए से अधिक टैक्स रखने वाले 584 वाहन मालिक, 50 हजार से ऊपर रखने वाले 240 वाहन मालिक, 10 हजार से ऊपर रखने वाले 429 वाहन मालिक, एक हजार से 10 हजार तक बाकी रखने वाले वाहन मालिक 755 और एक रुपए से 1000 तक बाकी रखने वाले 783 लोगों पर नोटिस परिवहन विभाग ने किया है।
दरअसल जिले में मोटर व्हीकल टैक्स जमा नहीं करने वाले वाहनों को डिफॉल्टर घोषित किया जा चुका है। कुल 2791 वाहनों पर 13,235057240 करोड़ रुपए टैक्स बकाया है। टैक्स जमा नहीं करने वाले वाहनों को जब्त करने की भी कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में जिला परिवहन पदाधिकारी मनोज कुमार रजक ने कहा है कि वाहन स्वामियों ने परिवहन विभाग में अब तक मोटर व्हीकल टैक्स सहित अन्य टैक्स को जमा नहीं किया है। टैक्स जमा जमा करने के लिए वाहन मालिकों को समय दिया गया है। इसके बावजूद वाहन मालिकों द्वारा मोटर व्हीकल टैक्स जमा करने में कोताही बरती जा रही है। टैक्स जमा नहीं करने वाले वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। वाहन मालिकों द्वारा समय से टैक्स जमा नहीं करने की वजह से सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है। बता दें कि प्रत्येक तीन महीने पर टैक्स जमा करने का प्रावधान है।
सर्टिफिकेट केस भी दर्ज होगा
विभाग की ओर से विशेष अभियान चलाया जा रहा जिला परिवहन पदाधिकारी ने बताया कि मोटर व्हीकल टैक्स जमा नहीं करने वाले वाहन मालिकों एक टैक्स की वसूली प्रक्रियाधीन है। जो वाहन मालिक टैक्स जमा नहीं करेंगे उनके विरुद्ध सर्टिफिकेट केस भी दर्ज होगा। जिन वाहन मालिकों द्वारा टैक्स जमा नहीं किया गया है उन्हें डिफाल्टर घोषित किया गया है।

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नोटिस: 13.23 करोड़ मोटर व्हीकल टैक्स जमा नहीं करने वाले 2791 वाहन मालिकों को - Dainik Bhaskar
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मोटर वाहन अधिनियम के तहत बहु-रंगीन एलईडी / नियॉन लाइट वाले वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए पात्र नहीं: केरल हाईकोर्ट - Legal News in Hindi

कोर्ट ने कहा "इसलिए, ऐसे वाहन जिनमें आफ्टर-मार्केट बहु-रंगीन एलईडी/लेजर/नियॉन लाइट, फ्लैश लाइट लगे हैं, जैसा कि इसके पहले पुन: प्रस्तुत किए गए स्क्रीनशॉट में देखा गया है, जिनका सार्वजनिक स्थान पर उपयोग किया जा रहा है, खुले तौर पर AIS008 में निर्धारित सुरक्षा मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं जो आने वाले वाहनों, पैदल चलने वालों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के चालकों को चकाचौंध करने में सक्षम हैं, जिससे अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए संभावित खतरा पैदा हो सकता है, उनसे कानून के अनुसार सख्ती से उचित तरीके से निपटा जाना चाहिए। ऐसे माल वाहनों को ऐसे वाहन नहीं माना जा सकता है जो फिटनेस प्रमाण पत्र प्रदान करने के उद्देश्य से मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों का पालन करते हैं।"

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मोटर वाहन अधिनियम के तहत बहु-रंगीन एलईडी / नियॉन लाइट वाले वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए पात्र नहीं: केरल हाईकोर्ट - Legal News in Hindi
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Wednesday, May 17, 2023

भारी माल वाहन लाइसेंस वाले ड्राइवर भी यात्री ले जाने वाले वाहन चला सकते हैं: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट - Live Law Hindi

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भारी माल वाहन लाइसेंस वाले ड्राइवर भी यात्री ले जाने वाले वाहन चला सकते हैं: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट - Live Law Hindi
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Amitabh-Anushka Challan: कानून के लिए सब बराबर, आखिर कटा अमिताभ-अनुष्का का चालान, बिना हेलमेट राइडिंग पर एक्शन - अमर उजाला

भले ही आप फोटो खिंचाने के लिए ही क्यों न कर रहे हो, ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों के लिए कानून में कोई छूट नहीं है। ऐसा लगता है कि बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और अनुष्का शर्मा को चालान जारी करने के बाद मुंबई पुलिस ने यह संदेश काफी स्पष्ट तौर पर दे दिया है। हाल ही में इन दोनों अभिनेताओं के बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहनों की सवारी करते हुए फोटो सामने आए थे। मोटर वाहन अधिनियम के तहत बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहनों की सवारी करना एक अपराध है। इस हफ्ते की शुरुआत में इनकी ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। जिसके बाद इंटरनेट यूजर्स ने यह सवाल उठाया कि क्या मशहूर हस्तियों को कानून से छूट मिली हुई है। 
अनुष्का पर मोटा चालान
मुंबई पुलिस ने बुधवार को एलान किया कि दोनों का चालान काट दिया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से कहा, "अमिताभ और अनुष्का दोनों पर उनके बाइक राइडर्स के जरिए ने मुंबई की सड़कों पर बिना हेलमेट के बाइक चलाने के लिए जुर्माना लगाया है।" मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर अभिनेताओं को जारी किए गए चालानों की प्रतियां भी साझा कीं। जिस राइडर के साथ अनुष्का शर्मा को स्पॉट किया गया था उसका चालान 10,500 रुपये के जुर्माने के साथ काटा गया था। मुंबई पुलिस ने कहा कि 'मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129/194 (डी), धारा 5/180 और धारा 3 (1) 181 के तहत चालान जारी किया गया है।
काम नहीं आई अमिताभ की सफाई
स्पष्टीकरण जारी करने के बावजूद अमिताभ बच्चन को भी नहीं बख्शा गया। इस मामले पर सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किए जाने के बाद, अमिताभ बच्चन ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा था कि यह तस्वीर शूटिंग के दौरान बंद सड़कों पर सभी जरूरी अनुमतियों के साथ ली गई थी, जिससे वे बिना हेलमेट पहने बाइक पर सवारी कर पाए। बच्चन ने खुद वह तस्वीर साझा की थी और कहा था कि उन्होंने काम पर समय से पहुंचने के लिए एक अजनबी से लिफ्ट लिया है। हालांकि, मुंबई पुलिस ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129/194 (डी) के तहत 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
क्या है कानून
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 कहती है कि बिना हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चलाना एक अपराध है। यह नियम सवार और पीछे बैठने वाले दोनों पर लागू होता है। बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चलाते हुए पकड़े जाने पर 1000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं राइडर के लाइसेंस का निलंबन हो सकता है या इसे जब्त किया जा सकता है। कुछ मामलों में चालक को तीन महीने तक की कैद हो सकती है।
बिना हेलमेट के सवारी करना भारत में सड़क दुर्घटनाओं के साथ-साथ मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में से एक है। पिछले साल मुंबई में हेलमेट नहीं पहनने पर 12.12 लाख चालान काटे गए थे।

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Tuesday, May 16, 2023

भारी माल वाहन चलाने का लाइसेंस रखने वाला चालक यात्री वाहन चलाने के लिए पात्र: जम्मू & कश्मीर हाईकोर्ट - Legal News in Hindi

आदेश ने कहा, "कोई भी व्यक्ति जिसके पास ड्राइविंग लाइसेंस था उसे एक विशेष प्रकार के वाणिज्यिक वाहन चलाने के लिए अधिकृत करता है, स्वचालित रूप से किसी अन्य प्रकार के वाणिज्यिक वाहन चलाने के लिए पात्र होगा, इसका अर्थ यह है कि भारी मालवाहक वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला ड्राइवर यात्री ले जाने वाले वाहन को चलाने के लिए सक्षम होगा।"

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भारी माल वाहन चलाने का लाइसेंस रखने वाला चालक यात्री वाहन चलाने के लिए पात्र: जम्मू & कश्मीर हाईकोर्ट - Legal News in Hindi
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भारी माल वाहन चलाने का लाइसेंस रखने वाला चालक यात्री वाहन चलाने के लिए पात्र: जम्मू & कश्मीर हाईकोर्ट - Legal News in Hindi

आदेश ने कहा, "कोई भी व्यक्ति जिसके पास ड्राइविंग लाइसेंस था उसे एक विशेष प्रकार के वाणिज्यिक वाहन चलाने के लिए अधिकृत करता है, स्वचालित रूप से किसी अन्य प्रकार के वाणिज्यिक वाहन चलाने के लिए पात्र होगा, इसका अर्थ यह है कि भारी मालवाहक वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला ड्राइवर यात्री ले जाने वाले वाहन को चलाने के लिए सक्षम होगा।"

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लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस ट्रांसपोर्ट व्हीकल चला सकता है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - Janta Se Rishta

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Saturday, May 13, 2023

तमिलनाडु ऑटो चालकों ने डीएमके-सरकार से मीटर किराया संशोधित करने की मांग की | न्यूज़क्लिक - NewsClick

ऑटो चालकों ने चेन्नई में भूख हड़ताल की। तस्वीर साभार : CITU, तमिलनाडु

9 मई को हजारों ऑटोचालकों ने पूरे तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन किया। वे मीटरों में संसोधन की मांग कर रहे थे।

अप्रैल 2022 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को आदेश दिया कि वह ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए समय-समय पर ऑटो-रिक्शा के किराए में संशोधन करे, और स्वचालित रूप से काम करने के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया। इस आदेश को एक साल बीत चुका है लेकिन द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार ने अभी तक इसे लागू नहीं किया है। बता दें कि मीटर किराया आखिरी बार 2013 में संशोधित किया गया था।

सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए ऑटो चालक एग्मोर, चेन्नई में पूरे दिन की भूख हड़ताल पर बैठ गए।

हड़ताल का नेतृत्व तमिलनाडु ऑटो वर्कर्स फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष एस बालासुब्रमण्यम ने किया। चेन्नई में विरोध स्थल पर पत्रकारों से बात करते हुए, उन्होंने कहा, "10 साल से मीटर किराया संशोधित नहीं किया गया है, जब उच्च न्यायालय ने मीटर दरों में बढ़ोतरी का आदेश दिया था, इसे भी एक साल बीत चुका है। लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस अंतराल के कारण, अधिक शुल्क लेने के लिए ऑटो चालकों की जनता के बीच बदनामी होती है।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) से संबद्ध यूनियन ने मांग की कि पहले 1.5 किलोमीटर के लिए किराया 50 रुपये और उसके बाद के किलोमीटर के लिए 25 रुपये तय किया जाना चाहिए। डीएमके के यूनियन लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) सहित राज्य की सभी ऑटो यूनियनों ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है।

'मोटर व्हीकल एक्ट लागू न करें'

संघ की मांग में कहा गया है कि राज्य में मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 को रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि यह चालकों पर भारी जुर्माना लगाता है।

बालासुब्रमण्यन ने कहा, "अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने संसद में केंद्र सरकार के मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम का समर्थन किया, जबकि DMK ने इसका विरोध किया। लेकिन अन्नाद्रमुक सरकार ने कानून लागू नहीं किया। दुर्भाग्य से, DMK शासन इसे लागू कर रहा है।”

उन्होंने पूछा, "तमिलनाडु में वो कानून क्यों लागू किया जाए, जो कई राज्यों में लागू नहीं है?"

ऑटो संघ ने राज्य से अधिनियम को छोड़ने और इसके विपरीत, ऑनलाइन जुर्माना रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करने की मांग की।

विरुधुनगर में प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय परिवहन अधिकारी से नकली जुर्माना लगाने से बचने की मांग की, जिसमें दावा किया गया था कि ऑटो सीमा पार चलाए गए थे। यात्री ऑटो को 30 किमी के दायरे में संचालित करने की अनुमति है।

विरुधुनगर में ऑटो चालकों ने किया विरोध प्रदर्शन छवि क्रेडिट: थेक्काथिर

अन्य मांगें

सीटू से संबद्ध ऑटो यूनियन ने पड़ोसी राज्यों की तरह एक त्रिपक्षीय समिति की मांग की। समिति पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में वृद्धि के अनुसार समय-समय पर टैरिफ को समायोजित करेगी।

यह कहते हुए कि ओला और उबर कंपनियां सरकार द्वारा तय किए गए किराए के विपरीत किराया वसूलती हैं, संघ ने मांग की कि इस तरह के संचालन राज्य सरकार द्वारा किए जाएं, जैसा कि केरल में प्रचलित है। उन्होंने रैपिडो जैसी अवैध बाइक टैक्सियों के नियमन की भी मांग की।

शिवगंगा पैलेस गेट के पास आयोजित विरोध प्रदर्शन में ऑटो चालकों ने शिवगंगा (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) आरटीओ में दलालों द्वारा ऑटो चालकों को परेशान करना बंद करने की मांग की।

शहर में गड्ढों वाली सड़कों की मरम्मत नहीं करने के लिए ऑटो कर्मचारी संघ ने पेराम्बलूर जिला प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

तिरुवन्नामलाई में विरोध प्रदर्शन करते ऑटो चालक। फोटो साभार: थेक्काथिर।

DMK ने नए ऑटो के लिए 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता का वादा किया था, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।

राज्य सचिव एस के महेंद्रन ने कहा, “तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उन्होंने DMK के 90% चुनावी वादों को पूरा किया। हम उनसे 91% के हिस्से के रूप में ऑटो-श्रमिकों से अपना वादा पूरा करने का आग्रह करते हैं। सीटू के डीएमके की चुनावी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भूरी वर्दी वाले कार्यकर्ताओं की जायज मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।"

अंग्रेजी में प्रकाशित मूल रिपोर्ट को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

Tamil Nadu Auto Drivers Demand DMK-Govt to Revise Metre Fare

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तमिलनाडु ऑटो चालकों ने डीएमके-सरकार से मीटर किराया संशोधित करने की मांग की | न्यूज़क्लिक - NewsClick
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Wednesday, May 10, 2023

25,000 का चालान... 3 साल की जेल! वाहन मालिक भूलकर भी न करें ये गलती वर्ना पड़ेगा भारी - Aaj Tak

आए दिन आपको सड़क पर ऐसे लोग दिख जाते होंगे जो बाइक्स से स्टंट और पैंतरेबाजी करते नज़र आते हैं. हद तो तब हो जाती है जब कच्ची उम्र के बच्चे भी मोटरसाइकिल से फर्राटा भरते दिख जाते हैं. यदि कोई बच्चा कम उम्र में मोटरसाइकिल चलाना सिख जाता है तो उसका अर्थ यह नहीं है कि वो सड़क पर वाहन चला सकता है, इसके लिए कुछ नियम और कानून बनाए गए हैं. एक नाबालिग का वाहन चलाना अपराध है और इसके चलते वाहन मालिक को भारी चालान या 3 साल तक की जेल का भी सामना करना पड़ सकता है. 

कम उम्र के लड़कों द्वारा वाहन चलाने के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. इनमें से कुछ मामलों में लापरवाही के चलते दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं. कुछ दिनों पहले गाजियाबाद पुलिस ने ऐसे ही दोपहिया वाहन चालकों पर नकेल कसने के लिए एक अभियान भी चलाया था. इस अभियान के दौरान पुलिस ने कई नाबालिग दोपहिया चालकों को पकड़ा और वाहन मालिकों के खिलाफ न केवल एफआईआर दर्ज की बल्कि मोटा चालान भी काटा. 

क्या कहता है कानून: 

1875 के भारतीय बहुमत अधिनियम की धारा 3 के तहत, एक व्यक्ति जो 18 वर्ष से कम आयु का है और भारत का निवासी है, उसे नाबालिग माना जाता है. जब तक कि व्यक्ति 18 वर्ष का नहीं हो जाता, तब तक उक्त व्यक्ति कुछ नियमों के अधीन रहता है. यातायात नियमों के अनुसार, मोटरबाइक चलाने के लिए वैध ड्राइविंग परमिट के लिए आवेदन करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है. फिर भी, इस नियम का पालन नहीं किया जाता है और इसका खुलेआम उल्लंघन देखने को मिलता है. 

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में कहा गया है कि गियर रहित मोटरसाइकिल (50cc तक) की सवारी करने के लिए 16 वर्ष से अधिक और अन्य वाहनों (गियर और एक कार वाली मोटरसाइकिल) की सवारी करने के लिए 18 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए. कम उम्र में गाड़ी चलाना नाबालिग के साथ-साथ सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए भी खतरनाक है. ड्राइविंग सीखने के लिए लर्नर लाइसेंस (Learing Driving Licence) की आवश्यकता होती है. यदि आवेदक 16-18 आयु वर्ग में आता है तो आवेदन पत्र पर माता-पिता के हस्ताक्षर की भी जरूरत होती है.

कटेगा मोटा चालान या होगी जेल: 

भारतीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, यदि कोई कम उम्र का व्यक्ति गाड़ी चलाते हुए पाया जाता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावक को 3 साल तक की जेल और 25,000 का जुर्माना भरना होगा. इसके अलावा, जो ड्राइवर बाइक चला रहा था, वह 25 वर्ष की आयु तक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त नहीं कर पाएगा. इसलिए, माता-पिता या अभिभावक की ये ज़िम्मेदारी है कि जब तक बच्चा भारत में वाहन चलाने के लिए कानूनी उम्र तक पहुँच जाए तो उसे ड्राइविंग की अनुमति न दें. 

एक जिम्मेदार माता-पिता के रूप में, अपने बच्चे और उनकी ड्राइविंग की आदतों पर नज़र रखने की ज़रूरत है. यदि आपका बच्चा 18 वर्ष से कम आयु का है, तो बेहतर होगा कि उसे मोटरबाइक की चाबियां न दी जाएं. यदि बाइक चलाते वक्त दुर्घटना हो जाए और बच्चा घायल हो जाए तो इस परिस्थिति में, भले ही आपके पास मोटरबाइक बीमा पॉलिसी हो, इससे कोई मदद नहीं मिलने वाली है, क्योंकि आप नाबालिगों के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दावा नहीं कर सकते हैं. 

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Tuesday, May 9, 2023

Traffic Challan: सड़क पर अगर यह आवाज नहीं सुनी तो कट जाएगा 10000 रुपये का चालान, फौरन हो जाएं सतर्क - मनी कंट्रोल

Traffic Challan: सड़क पर वाहन चलाते समय हमें कई नियमों का पालन करना पड़ता है। अक्सर जाने अनजाने में ट्रैफिक नियमों को तोड़ भी देते हैं। ऐसे में याद रखना चाहिए कि ये नियम सिर्फ हमारी सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी होते हैं। वहीं कुछ नियम ऐसे भी होते हैं। जिन्हें हमें एक नागरिक के रूप में जिम्मेदारी से पालन करने की जरूरत होती है। ऐसा ही एक नियम सड़कों पर चलते समय एंबुलेंस को रास्ता देने पर भी है। एंबुलेंस को साइड न देने पर 10000 रुपये जुर्माना लग सकता है।

नए मोटर व्हीकल एक्ट में की बदलाव किए गए हैं। वाहन चालकों पर भारी चालान का प्रावधान किया गया है। ऐसे में आपके पास वाहन चलाते समय लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन के कागजात और बीमा क्यों न हो, लेकिन फिर भी नियम तोड़ने पर 10000 रुपये का भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

लगेगा जुर्माना


आपने सड़क पर एंबलेंस के सायरन की आवाज सुनी होगी। यह इसलिए बजाया जाता है। ताकि आगे वाली गाड़ियां एंबुलेंस का जाने का रास्ता दे सकें। अगर कोई भी शख्स एंबुलेंस को रास्ता नहीं देता है, तो उसे भारी जर्माना भरना पड़ता है। ट्रैफिक पुलिस केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) 2019 के तहत एंबुलेंस को जगह न देने पर वाहन चालक को 10000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। बता दें कि पुराने मोटर व्हीकल एक्ट में इस प्रकार का कोई भी प्रावधान नहीं था। ऐसे में जरूरी है कि आप सड़क पर चलते समय एंबुलेंस या किसी इमर्जेंसी व्हीकल की आवाज जैसे ही सुनें, आप तुरंत उसे रास्ता देने के लिए किनारे हट जाएं।

Traffic Challan: कभी-कभी चुपके से कट जाता है चालान, जानिए कैसे करें पता

बच्चों को बैठाया तो देना होगा भारी चालान

नए मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, 4 साल से ज्यादा उम्र का बच्चा तीसरी सवारी के तोर पर गिना जाएगा। ऐसे में अगर आप अपने टूव्हीलर पर सवार होकर अपने बच्चे और पत्नी को बैठाकर कही जा रहे है और बच्चे की उम्र चार साल से अधिक है तो आपका चालान कट सकता है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 194A के अनुसार आपका इस नियम का उल्लंघन करने पर 1000 रुपए का चालान कट सकता है।

भूलकर भी न तोड़ें ये ट्रैफिक नियम

मोबाइल पर बात करते हुए ड्राइविंग करने पर 1000 रुपये की जगह 5000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 6 महीने तक की कैद या 10000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। अगर दूसरी बार ऐसा किया तो 2 साल तक की कैद या 15000 रुपये का जुर्माना किया जा सकता है। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के वाहन चलाने पर 5000 रुपये का चालान ट्रैफिक पुलिस काटेगी।

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Traffic Challan: सड़क पर अगर यह आवाज नहीं सुनी तो कट जाएगा 10000 रुपये का चालान, फौरन हो जाएं सतर्क - मनी कंट्रोल
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एमवी एक्ट की धारा 166 | खड़े वाहन से दुर्घटना होने पर भी मुआवजा दिया जा सकता है: उड़ीसा हाईकोर्ट - Live Law Hindi

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एमवी एक्ट की धारा 166 | खड़े वाहन से दुर्घटना होने पर भी मुआवजा दिया जा सकता है: उड़ीसा हाईकोर्ट - Live Law Hindi
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Wednesday, May 3, 2023

हाई कोर्ट ने अधिकारियों को वाहनों पर क्रैश गार्ड लगाने के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया - Law Trend

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वाहनों पर अनधिकृत रूप से क्रैश गार्ड या बुल बार लगाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने कहा कि मोटर वाहनों पर क्रैश गार्ड और बुल बार की अनुमति नहीं है और सरकारी एजेंसियों को कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करना चाहिए।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में एक अधिसूचना जारी कर सभी राज्यों को वाहनों पर अनधिकृत फिटिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

Ad 19

हालांकि, 12 मार्च, 2018 को उच्च न्यायालय ने केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। लेकिन, 2 दिसंबर, 2019 को उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटा दी गई थी।

केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी ने कहा कि क्रैश गार्ड या बुल बार पैदल चलने वालों के साथ तबाही मचाते हैं क्योंकि अगर वाहन उन्हें टक्कर मारता है तो पैदल चलने वालों को गंभीर चोट लग सकती है।

उन्होंने कहा कि अगर क्रैश गार्ड के साथ तेज रफ्तार वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो एयर बैग नहीं खुलेंगे और इससे सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।

मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में राज्य परिवहन के प्रमुख सचिवों, सचिवों और आयुक्तों को यह कहते हुए लिखा था कि “क्रैश गार्ड/बुल बार लगाना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 का उल्लंघन है और धारा 190 और 191 के तहत जुर्माना लगता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988″।

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“वाहनों पर क्रैश गार्ड या बुल बार पैदल चलने वालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के लिए गंभीर सुरक्षा चिंता पैदा करते हैं। इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य मोटर वाहनों पर क्रैश गार्ड/बुल बार के अनधिकृत फिटमेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं।” यह कहा था।

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 190 में उल्लेख है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर सड़क सुरक्षा, ध्वनि नियंत्रण और वायु-प्रदूषण के संबंध में निर्धारित मानकों का उल्लंघन करता है, ऐसे मोटर वाहन चलाता है या चलाता है या चलाने की अनुमति देता है, पहले अपराध के लिए 1,000 रुपये के जुर्माने और दूसरे या बाद के अपराध के लिए 2,000 रुपये के जुर्माने के साथ दंडनीय होगा।

धारा 191 निर्धारित करती है, “जो कोई भी मोटर वाहनों का आयातक या डीलर है, वह मोटर वाहन या ट्रेलर को बेचता है या वितरित करता है या बेचने या वितरित करने की पेशकश करता है, ऐसी स्थिति में कि सार्वजनिक स्थान पर उसका उपयोग अध्याय VII या किसी के उल्लंघन में होगा। नियम बनाया गया है या मोटर वाहन या ट्रेलर को बदल देता है ताकि इसकी शर्तों को प्रस्तुत किया जा सके कि सार्वजनिक स्थान पर इसका उपयोग अध्याय VII के उल्लंघन में होगा या उसके तहत बनाए गए किसी भी नियम के लिए जुर्माना लगाया जा सकता है जो 5,000 रुपये तक बढ़ सकता है।”

उच्च न्यायालय अधिवक्ता अनिल कुमार अग्रवाल के माध्यम से अर्शी कपूर और सिद्धार्थ बागला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में दावा किया गया है कि जहां ये बंपर स्टाइलिश दिख सकते हैं और कम गति के प्रभाव में वाहन की रक्षा कर सकते हैं, वहीं उच्च गति दुर्घटनाओं में वे कार की अंतर्निहित सुरक्षा सुविधाओं को विफल कर देंगे जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों को गंभीर और घातक चोटें आएंगी।

दो व्यक्तियों द्वारा जनहित याचिका में दावा किया गया है कि वाहनों के आगे और पीछे धातु के बंपर लगाए गए हैं जो पैदल यात्रियों के साथ-साथ यात्रियों के जीवन के लिए भी खतरा हैं और इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

अदालत मोहम्मद आरिफ की एक अन्य याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने क्रैश गार्ड और बुल बार के निर्माता और डीलर होने का दावा किया था और राज्यों को मंत्रालय के 7 दिसंबर, 2017 के निर्देश के संचालन पर रोक लगाने की मांग की थी।

आरिफ ने लंबित जनहित याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की थी और कहा था कि केंद्र के फैसले की कोई वैधता नहीं है क्योंकि क्रैश गार्ड या बुल बार जैसे सामान से निपटने के लिए कोई नियम, कानून या उपनियम नहीं है।

डीलर ने यह भी कहा है कि बुल बार मोटर वाहन अधिनियम की धारा 52 के दायरे में नहीं आते हैं, क्योंकि धारा वाहन में संशोधन से संबंधित है, न कि बाजार के बाद के फिटमेंट के साथ।

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हाई कोर्ट ने अधिकारियों को वाहनों पर क्रैश गार्ड लगाने के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया - Law Trend
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हाई कोर्ट ने अधिकारियों को वाहनों पर क्रैश गार्ड लगाने के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया - Law Trend

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वाहनों पर अनधिकृत रूप से क्रैश गार्ड या बुल बार लगाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की पीठ ने कहा कि मोटर वाहनों पर क्रैश गार्ड और बुल बार की अनुमति नहीं है और सरकारी एजेंसियों को कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करना चाहिए।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में एक अधिसूचना जारी कर सभी राज्यों को वाहनों पर अनधिकृत फिटिंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

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हालांकि, 12 मार्च, 2018 को उच्च न्यायालय ने केंद्र की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। लेकिन, 2 दिसंबर, 2019 को उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटा दी गई थी।

केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी ने कहा कि क्रैश गार्ड या बुल बार पैदल चलने वालों के साथ तबाही मचाते हैं क्योंकि अगर वाहन उन्हें टक्कर मारता है तो पैदल चलने वालों को गंभीर चोट लग सकती है।

उन्होंने कहा कि अगर क्रैश गार्ड के साथ तेज रफ्तार वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो एयर बैग नहीं खुलेंगे और इससे सुरक्षा संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं।

मंत्रालय ने दिसंबर 2017 में राज्य परिवहन के प्रमुख सचिवों, सचिवों और आयुक्तों को यह कहते हुए लिखा था कि “क्रैश गार्ड/बुल बार लगाना मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 का उल्लंघन है और धारा 190 और 191 के तहत जुर्माना लगता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988″।

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“वाहनों पर क्रैश गार्ड या बुल बार पैदल चलने वालों के साथ-साथ वाहन में सवार लोगों के लिए गंभीर सुरक्षा चिंता पैदा करते हैं। इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि राज्य मोटर वाहनों पर क्रैश गार्ड/बुल बार के अनधिकृत फिटमेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं।” यह कहा था।

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 190 में उल्लेख है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी सार्वजनिक स्थान पर सड़क सुरक्षा, ध्वनि नियंत्रण और वायु-प्रदूषण के संबंध में निर्धारित मानकों का उल्लंघन करता है, ऐसे मोटर वाहन चलाता है या चलाता है या चलाने की अनुमति देता है, पहले अपराध के लिए 1,000 रुपये के जुर्माने और दूसरे या बाद के अपराध के लिए 2,000 रुपये के जुर्माने के साथ दंडनीय होगा।

धारा 191 निर्धारित करती है, “जो कोई भी मोटर वाहनों का आयातक या डीलर है, वह मोटर वाहन या ट्रेलर को बेचता है या वितरित करता है या बेचने या वितरित करने की पेशकश करता है, ऐसी स्थिति में कि सार्वजनिक स्थान पर उसका उपयोग अध्याय VII या किसी के उल्लंघन में होगा। नियम बनाया गया है या मोटर वाहन या ट्रेलर को बदल देता है ताकि इसकी शर्तों को प्रस्तुत किया जा सके कि सार्वजनिक स्थान पर इसका उपयोग अध्याय VII के उल्लंघन में होगा या उसके तहत बनाए गए किसी भी नियम के लिए जुर्माना लगाया जा सकता है जो 5,000 रुपये तक बढ़ सकता है।”

उच्च न्यायालय अधिवक्ता अनिल कुमार अग्रवाल के माध्यम से अर्शी कपूर और सिद्धार्थ बागला की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में दावा किया गया है कि जहां ये बंपर स्टाइलिश दिख सकते हैं और कम गति के प्रभाव में वाहन की रक्षा कर सकते हैं, वहीं उच्च गति दुर्घटनाओं में वे कार की अंतर्निहित सुरक्षा सुविधाओं को विफल कर देंगे जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों को गंभीर और घातक चोटें आएंगी।

दो व्यक्तियों द्वारा जनहित याचिका में दावा किया गया है कि वाहनों के आगे और पीछे धातु के बंपर लगाए गए हैं जो पैदल यात्रियों के साथ-साथ यात्रियों के जीवन के लिए भी खतरा हैं और इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

अदालत मोहम्मद आरिफ की एक अन्य याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने क्रैश गार्ड और बुल बार के निर्माता और डीलर होने का दावा किया था और राज्यों को मंत्रालय के 7 दिसंबर, 2017 के निर्देश के संचालन पर रोक लगाने की मांग की थी।

आरिफ ने लंबित जनहित याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की थी और कहा था कि केंद्र के फैसले की कोई वैधता नहीं है क्योंकि क्रैश गार्ड या बुल बार जैसे सामान से निपटने के लिए कोई नियम, कानून या उपनियम नहीं है।

डीलर ने यह भी कहा है कि बुल बार मोटर वाहन अधिनियम की धारा 52 के दायरे में नहीं आते हैं, क्योंकि धारा वाहन में संशोधन से संबंधित है, न कि बाजार के बाद के फिटमेंट के साथ।

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Tuesday, May 2, 2023

देर रात टू व्हीलर मोटर वाहन से मेरठ से लैंसडौन जा रहा युवक का वाहन फिसलने से वाहन अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरा,SDRF ने ... - Corbetthalchal

Accident news

जनपद पौड़ी -खाई में गिरा व्यक्ति, SDRF ने किया रेस्क्यू।

राज्य में भी सड़क हादसे कम होने का नाम नहीं ले रहा है कभी तराई तो कभी पहाड़ों से खबर आ रही है। सोमवार को देर रात्रि चौकी दुगड्डा द्वारा SDRF टीम को सूचित किया गया कि एक व्यक्ति खाई में गिर गया है, जिसमे रेस्क्यू हेतु SDRF टीम की आवश्यकता है।

उक्त सूचना पर SDRF टीम उप निरीक्षक नीरज चौहान के हमराह मय रेस्क्यू उपकरणो के तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुई।

घटनास्थल पर पहुँचकर देखा गया की एक व्यक्ति टू व्हीलर मोटर वाहन से मेरठ से लैंसडौन की और जा रहा था।अचानक रास्ते के बीच में कीचड़ में वाहन फिसलने की वजह से वाहन अनियंत्रित होकर लगभग 70 मीटर निचे खाई में जा गिरा।

SDRF टीम ने त्वरित कार्यवाही करते हुऐ तत्काल खाई में उतरकर रोप के द्वारा घायल व्यक्ति तक पहुँच बनायी व घायल व्यक्ति को वेकल्पिक मार्ग से पैदल, मुख्य मार्ग तक लाकर एम्बुलेंस के माध्यम उचित उपचार हेतु अस्पताल भिजवाया गया।

घायल व्यक्ति का नाम :- अमर सिंह उम्र -26 पुत्र दलबीर सिंह

निवासी :- कोटद्वार पौड़ी

रेस्क्यू टीम का विवरण

  1. उप निरीक्षक नीरज चौहान
  2. आरक्षी धीरज
  3. आरक्षी विकास रमोला
  4. चालक नन्द किशोर

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वाहन के नंबर प्लेट में छुपे होते हैं कई राज! एक नज़र में जान जाएंगे गाड़ी की पूरी डिटेल - Aaj Tak

आपने कभी किसी कार के नंबर प्लेट पर गौर किया है, जाहिर है ऐसा कई बार आपके साथ हुआ होगा कि, कोई वीआईपी (VIP) या फैंसी नंबर प्लेट ने आपका ध्यान आकर्षित किया हो. लेकिन क्या आप जानते है कि, मेटल प्लेट पर लिखे ये नंबर्स अपने भीतर कई राज छुपाए होते हैं. दरअसल, ये नंबर्स उक्त वाहन या रजिस्ट्रेशन से लेकर तमाम जानकारियों को अपने भीतर समेटे होते हैं. आज हम आपको अपने इस लेख में नंबर प्लेट जिन्हें व्हीकल रजिस्ट्रेशन प्लेट (Registration Plate) भी कहा जाता है, से जुड़ी तमाम जानकारियों के बारे में बताएंगे. 

भारत में नंबर प्लेट को लेकर क्या है नियम: 

लेकिन नंबर प्लेट्स की डिटेल में जाने से पहले यह जान लेते हैं कि भारत में इसको लेकर क्या नियम हैं. वाहन 'नंबर प्लेट' को लाइसेंस प्लेट भी कहा जाता है. नंबर प्लेट एक धातु की प्लेट होती है जो मोटर वाहन से जुड़ी होती है और उस पर वाहन पंजीकरण संख्या अंकित होता है. आधिकारिक लाइसेंस प्लेट नंबर के 4 अलग-अलग हिस्से होते हैं. प्रत्येक भाग का एक निश्चित उद्देश्य होता है. नंबर प्लेट मोटर वाहन के आगे और पीछे दोनों तरफ लगाई जाती है, ये नंबर प्लेट वाहन की पहचान करने में मदद करती है.

मोटर व्हीकल अधिनियम (नियम 50 और 51) के अनुसार, व्यक्तिगत या प्राइवेट दोपहिया वाहनों और चारपहिया जैसे हल्के मोटर वाहनों के लिए पंजीकरण वर्णमाला संख्या सफेद पृष्ठभूमि (White Background) पर काले रंग में होनी चाहिए. वहीं वाणिज्यिक वाहनों या कमर्शियल वाहनों के लिए, पीले रंग की पृष्ठभूमि पर काले अक्षर में लिखा होना चाहिए. रजिस्ट्रेशन प्लेट पर फैंसी अक्षरों, चित्रों, कलाओं और नामों को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है. 

नंबर प्लेट को सभी मोटर वाहनों के आगे और पीछे की तरफ प्रदर्शित किया जाना चाहिए. मोटरबाइक के मामले में, सामने पंजीकरण संख्या को मडगार्ड या प्लेट जैसे वाहन के किसी भी हिस्से पर हैंडलबार के समानांतर प्रदर्शित किया जाना चाहिए. यहां तक की वाहन पर लगाए जाने वाले रजिस्ट्रेशन प्लेट की साइज को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. 

इतनी होगी चाहिए नंबर प्लेट की साइज़: 

  • दोपहिया और तिपहिया वाहन- 200 x 100 मिमी
  • हल्के मोटर वाहन / यात्री कार के लिए- 340x 200 मिमी या 500 x 120 मिमी
  • मध्यम/भारी वाणिज्यिक वाहनों के लिए- 340 x 200 मिमी
नंबर प्लेट

हर नंबर प्लेट कुछ कहता है: 

नंबर प्लेट को आसानी से समझने के लिए हमने यहां पर इसे पांच अलग-अलग हिस्सो में बांटा है. इन सभी भागों को समझकर आप वाहन से जुड़ी तमाम जानकारी आसानी से हासिल कर सकते हैं. आइए एक नंबर प्लेट के प्रत्येक हिस्से को संक्षेप में समझते हैं.

पहला हिस्सा: 

पहला भाग केंद्र शासित प्रदेश या राज्य को निर्धारित करता है जिसे दो अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में, मोटर वाहन नंबर प्लेट MH कोड से शुरू होती है, दिल्ली के वाहनों के लिए 'DL' या उत्तर प्रदेश के लिए 'UP' का इस्तेमाल किया जाता है. इससे आप ये जान सकते हैं कि उक्त वाहन किस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित है. यह तरीका कहीं न कहीं 1980 के दशक में शुरू हुआ था.

दूसरा हिस्सा: 

नंबर प्लेट में राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को दर्शाने वाले अक्षर के बाद आने वाले 2 अंक राज्य की अनुक्रमिक संख्या को दर्शाते हैं. हर राज्य में एक जिला होता है, ये नंबर इस बात की पहचान होते हैं कि, उक्त वाहन किस जिले से संबंधित है. तात्पर्य यह है कि प्रत्येक जिले का अपना क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय होता है जो मोटर वाहन पंजीकरण (Registration) का जिम्मेदार होता है. 

तीसरा हिस्सा: 

नंबर प्लेट के तीसरे हिस्से में अंग्रेजी के दो अक्षर होते हैं जैसे कि 'AB' ये वाहन के रजिस्ट्रेशन की तत्तकालिक सीरीज को दर्शाते हैं. कुछ लोग इन दो अक्षरों को देखकर ही इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि, वाहन लगभग कितना पुराना है. इसके लिए मौजूदा सीरीज से मैच करने की जरूरत होती है. 

चौथा हिस्सा: 

वाहन के नंबर प्लेट का चौथे और आखिरी हिस्से में चार अंक दिए जाते हैं, मसलन '1234' ये वाहन का यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है. कुछ लोग अपने पसंद के अनुसार वीआईपी या फैंसी नंबर का भी उपयोग करते हैं. इसके लिए उन्हें आरटीओ से पसंदीदा नंबर खरीदना होता है, जिसकी कीमत रेगुलर रजिस्ट्रेशन शुल्क से ज्यादा होती है. आखिरी के ये चार अक्षर सभी वाहनों के लिए कोड भी सुनिश्चित करता है. 

पांचवा हिस्सा: 

नंबर प्लेट के बाईं तरफ आपको अंग्रेजी में 'IND' लिखा हुआ दिखता है, ये इस बात को दर्शाता है कि उक्त वाहन भारत में रजिस्टर्ड है. इसके उपर अशोक चक्र दिया जाता है. ये क्रोमियम बेस्ड होता है, और इसके नीचे नंबर प्लेट का लेजर पिन कोड दिया जाता है. कुछ राज्य और क्षेत्र (जैसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) व्हीकल सीरीज नंबर से पहले एक अतिरिक्त अक्षर जोड़ते हैं जो कि वाहन के टाइप के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मसलन, दिल्ली मोटरबाइक, कार, इलेक्ट्रिक वाहन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हीकल इत्यादि. 

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Monday, May 1, 2023

वाहन के नंबर प्लेट में छुपे होते हैं कई राज! एक नज़र में जान जाएंगे गाड़ी की पूरी डिटेल - Aaj Tak

आपने कभी किसी कार के नंबर प्लेट पर गौर किया है, जाहिर है ऐसा कई बार आपके साथ हुआ होगा कि, कोई वीआईपी (VIP) या फैंसी नंबर प्लेट ने आपका ध्यान आकर्षित किया हो. लेकिन क्या आप जानते है कि, मेटल प्लेट पर लिखे ये नंबर्स अपने भीतर कई राज छुपाए होते हैं. दरअसल, ये नंबर्स उक्त वाहन या रजिस्ट्रेशन से लेकर तमाम जानकारियों को अपने भीतर समेटे होते हैं. आज हम आपको अपने इस लेख में नंबर प्लेट जिन्हें व्हीकल रजिस्ट्रेशन प्लेट (Registration Plate) भी कहा जाता है, से जुड़ी तमाम जानकारियों के बारे में बताएंगे. 

भारत में नंबर प्लेट को लेकर क्या है नियम: 

लेकिन नंबर प्लेट्स की डिटेल में जाने से पहले यह जान लेते हैं कि भारत में इसको लेकर क्या नियम हैं. वाहन 'नंबर प्लेट' को लाइसेंस प्लेट भी कहा जाता है. नंबर प्लेट एक धातु की प्लेट होती है जो मोटर वाहन से जुड़ी होती है और उस पर वाहन पंजीकरण संख्या अंकित होता है. आधिकारिक लाइसेंस प्लेट नंबर के 4 अलग-अलग हिस्से होते हैं. प्रत्येक भाग का एक निश्चित उद्देश्य होता है. नंबर प्लेट मोटर वाहन के आगे और पीछे दोनों तरफ लगाई जाती है, ये नंबर प्लेट वाहन की पहचान करने में मदद करती है.

मोटर व्हीकल अधिनियम (नियम 50 और 51) के अनुसार, व्यक्तिगत या प्राइवेट दोपहिया वाहनों और चारपहिया जैसे हल्के मोटर वाहनों के लिए पंजीकरण वर्णमाला संख्या सफेद पृष्ठभूमि (White Background) पर काले रंग में होनी चाहिए. वहीं वाणिज्यिक वाहनों या कमर्शियल वाहनों के लिए, पीले रंग की पृष्ठभूमि पर काले अक्षर में लिखा होना चाहिए. रजिस्ट्रेशन प्लेट पर फैंसी अक्षरों, चित्रों, कलाओं और नामों को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है. 

नंबर प्लेट को सभी मोटर वाहनों के आगे और पीछे की तरफ प्रदर्शित किया जाना चाहिए. मोटरबाइक के मामले में, सामने पंजीकरण संख्या को मडगार्ड या प्लेट जैसे वाहन के किसी भी हिस्से पर हैंडलबार के समानांतर प्रदर्शित किया जाना चाहिए. यहां तक की वाहन पर लगाए जाने वाले रजिस्ट्रेशन प्लेट की साइज को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. 

इतनी होगी चाहिए नंबर प्लेट की साइज़: 

  • दोपहिया और तिपहिया वाहन- 200 x 100 मिमी
  • हल्के मोटर वाहन / यात्री कार के लिए- 340x 200 मिमी या 500 x 120 मिमी
  • मध्यम/भारी वाणिज्यिक वाहनों के लिए- 340 x 200 मिमी
नंबर प्लेट

हर नंबर प्लेट कुछ कहता है: 

नंबर प्लेट को आसानी से समझने के लिए हमने यहां पर इसे पांच अलग-अलग हिस्सो में बांटा है. इन सभी भागों को समझकर आप वाहन से जुड़ी तमाम जानकारी आसानी से हासिल कर सकते हैं. आइए एक नंबर प्लेट के प्रत्येक हिस्से को संक्षेप में समझते हैं.

पहला हिस्सा: 

पहला भाग केंद्र शासित प्रदेश या राज्य को निर्धारित करता है जिसे दो अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में, मोटर वाहन नंबर प्लेट MH कोड से शुरू होती है, दिल्ली के वाहनों के लिए 'DL' या उत्तर प्रदेश के लिए 'UP' का इस्तेमाल किया जाता है. इससे आप ये जान सकते हैं कि उक्त वाहन किस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित है. यह तरीका कहीं न कहीं 1980 के दशक में शुरू हुआ था.

दूसरा हिस्सा: 

नंबर प्लेट में राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को दर्शाने वाले अक्षर के बाद आने वाले 2 अंक राज्य की अनुक्रमिक संख्या को दर्शाते हैं. हर राज्य में एक जिला होता है, ये नंबर इस बात की पहचान होते हैं कि, उक्त वाहन किस जिले से संबंधित है. तात्पर्य यह है कि प्रत्येक जिले का अपना क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय होता है जो मोटर वाहन पंजीकरण (Registration) का जिम्मेदार होता है. 

तीसरा हिस्सा: 

नंबर प्लेट के तीसरे हिस्से में अंग्रेजी के दो अक्षर होते हैं जैसे कि 'AB' ये वाहन के रजिस्ट्रेशन की तत्तकालिक सीरीज को दर्शाते हैं. कुछ लोग इन दो अक्षरों को देखकर ही इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि, वाहन लगभग कितना पुराना है. इसके लिए मौजूदा सीरीज से मैच करने की जरूरत होती है. 

चौथा हिस्सा: 

वाहन के नंबर प्लेट का चौथे और आखिरी हिस्से में चार अंक दिए जाते हैं, मसलन '1234' ये वाहन का यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है. कुछ लोग अपने पसंद के अनुसार वीआईपी या फैंसी नंबर का भी उपयोग करते हैं. इसके लिए उन्हें आरटीओ से पसंदीदा नंबर खरीदना होता है, जिसकी कीमत रेगुलर रजिस्ट्रेशन शुल्क से ज्यादा होती है. आखिरी के ये चार अक्षर सभी वाहनों के लिए कोड भी सुनिश्चित करता है. 

पांचवा हिस्सा: 

नंबर प्लेट के बाईं तरफ आपको अंग्रेजी में 'IND' लिखा हुआ दिखता है, ये इस बात को दर्शाता है कि उक्त वाहन भारत में रजिस्टर्ड है. इसके उपर अशोक चक्र दिया जाता है. ये क्रोमियम बेस्ड होता है, और इसके नीचे नंबर प्लेट का लेजर पिन कोड दिया जाता है. कुछ राज्य और क्षेत्र (जैसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) व्हीकल सीरीज नंबर से पहले एक अतिरिक्त अक्षर जोड़ते हैं जो कि वाहन के टाइप के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मसलन, दिल्ली मोटरबाइक, कार, इलेक्ट्रिक वाहन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हीकल इत्यादि. 

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Kurukshetra News: वाहन व सारथी पोर्टल से उठाया जा सकता है 22 फेसलेस सेवाओं का लाभ - अमर उजाला

कुरुक्षेत्र। उपायुक्त शांतनु शर्मा। कुरुक्षेत्र। वाहन और सारथी पोर्टल के माध्यम से आधार आधारित 22 फेसलेस सेवाओं का लाभ आमजन को दिया जा ...