आए दिन आपको सड़क पर ऐसे लोग दिख जाते होंगे जो बाइक्स से स्टंट और पैंतरेबाजी करते नज़र आते हैं. हद तो तब हो जाती है जब कच्ची उम्र के बच्चे भी मोटरसाइकिल से फर्राटा भरते दिख जाते हैं. यदि कोई बच्चा कम उम्र में मोटरसाइकिल चलाना सिख जाता है तो उसका अर्थ यह नहीं है कि वो सड़क पर वाहन चला सकता है, इसके लिए कुछ नियम और कानून बनाए गए हैं. एक नाबालिग का वाहन चलाना अपराध है और इसके चलते वाहन मालिक को भारी चालान या 3 साल तक की जेल का भी सामना करना पड़ सकता है.
कम उम्र के लड़कों द्वारा वाहन चलाने के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. इनमें से कुछ मामलों में लापरवाही के चलते दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं. कुछ दिनों पहले गाजियाबाद पुलिस ने ऐसे ही दोपहिया वाहन चालकों पर नकेल कसने के लिए एक अभियान भी चलाया था. इस अभियान के दौरान पुलिस ने कई नाबालिग दोपहिया चालकों को पकड़ा और वाहन मालिकों के खिलाफ न केवल एफआईआर दर्ज की बल्कि मोटा चालान भी काटा.
क्या कहता है कानून:
1875 के भारतीय बहुमत अधिनियम की धारा 3 के तहत, एक व्यक्ति जो 18 वर्ष से कम आयु का है और भारत का निवासी है, उसे नाबालिग माना जाता है. जब तक कि व्यक्ति 18 वर्ष का नहीं हो जाता, तब तक उक्त व्यक्ति कुछ नियमों के अधीन रहता है. यातायात नियमों के अनुसार, मोटरबाइक चलाने के लिए वैध ड्राइविंग परमिट के लिए आवेदन करने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है. फिर भी, इस नियम का पालन नहीं किया जाता है और इसका खुलेआम उल्लंघन देखने को मिलता है.
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में कहा गया है कि गियर रहित मोटरसाइकिल (50cc तक) की सवारी करने के लिए 16 वर्ष से अधिक और अन्य वाहनों (गियर और एक कार वाली मोटरसाइकिल) की सवारी करने के लिए 18 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिए. कम उम्र में गाड़ी चलाना नाबालिग के साथ-साथ सड़क पर चलने वाले लोगों के लिए भी खतरनाक है. ड्राइविंग सीखने के लिए लर्नर लाइसेंस (Learing Driving Licence) की आवश्यकता होती है. यदि आवेदक 16-18 आयु वर्ग में आता है तो आवेदन पत्र पर माता-पिता के हस्ताक्षर की भी जरूरत होती है.
कटेगा मोटा चालान या होगी जेल:
भारतीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, यदि कोई कम उम्र का व्यक्ति गाड़ी चलाते हुए पाया जाता है, तो उसके माता-पिता या अभिभावक को 3 साल तक की जेल और 25,000 का जुर्माना भरना होगा. इसके अलावा, जो ड्राइवर बाइक चला रहा था, वह 25 वर्ष की आयु तक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त नहीं कर पाएगा. इसलिए, माता-पिता या अभिभावक की ये ज़िम्मेदारी है कि जब तक बच्चा भारत में वाहन चलाने के लिए कानूनी उम्र तक पहुँच जाए तो उसे ड्राइविंग की अनुमति न दें.
एक जिम्मेदार माता-पिता के रूप में, अपने बच्चे और उनकी ड्राइविंग की आदतों पर नज़र रखने की ज़रूरत है. यदि आपका बच्चा 18 वर्ष से कम आयु का है, तो बेहतर होगा कि उसे मोटरबाइक की चाबियां न दी जाएं. यदि बाइक चलाते वक्त दुर्घटना हो जाए और बच्चा घायल हो जाए तो इस परिस्थिति में, भले ही आपके पास मोटरबाइक बीमा पॉलिसी हो, इससे कोई मदद नहीं मिलने वाली है, क्योंकि आप नाबालिगों के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दावा नहीं कर सकते हैं.
25,000 का चालान... 3 साल की जेल! वाहन मालिक भूलकर भी न करें ये गलती वर्ना पड़ेगा भारी - Aaj Tak
Read More
No comments:
Post a Comment