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Monday, May 1, 2023

वाहन के नंबर प्लेट में छुपे होते हैं कई राज! एक नज़र में जान जाएंगे गाड़ी की पूरी डिटेल - Aaj Tak

आपने कभी किसी कार के नंबर प्लेट पर गौर किया है, जाहिर है ऐसा कई बार आपके साथ हुआ होगा कि, कोई वीआईपी (VIP) या फैंसी नंबर प्लेट ने आपका ध्यान आकर्षित किया हो. लेकिन क्या आप जानते है कि, मेटल प्लेट पर लिखे ये नंबर्स अपने भीतर कई राज छुपाए होते हैं. दरअसल, ये नंबर्स उक्त वाहन या रजिस्ट्रेशन से लेकर तमाम जानकारियों को अपने भीतर समेटे होते हैं. आज हम आपको अपने इस लेख में नंबर प्लेट जिन्हें व्हीकल रजिस्ट्रेशन प्लेट (Registration Plate) भी कहा जाता है, से जुड़ी तमाम जानकारियों के बारे में बताएंगे. 

भारत में नंबर प्लेट को लेकर क्या है नियम: 

लेकिन नंबर प्लेट्स की डिटेल में जाने से पहले यह जान लेते हैं कि भारत में इसको लेकर क्या नियम हैं. वाहन 'नंबर प्लेट' को लाइसेंस प्लेट भी कहा जाता है. नंबर प्लेट एक धातु की प्लेट होती है जो मोटर वाहन से जुड़ी होती है और उस पर वाहन पंजीकरण संख्या अंकित होता है. आधिकारिक लाइसेंस प्लेट नंबर के 4 अलग-अलग हिस्से होते हैं. प्रत्येक भाग का एक निश्चित उद्देश्य होता है. नंबर प्लेट मोटर वाहन के आगे और पीछे दोनों तरफ लगाई जाती है, ये नंबर प्लेट वाहन की पहचान करने में मदद करती है.

मोटर व्हीकल अधिनियम (नियम 50 और 51) के अनुसार, व्यक्तिगत या प्राइवेट दोपहिया वाहनों और चारपहिया जैसे हल्के मोटर वाहनों के लिए पंजीकरण वर्णमाला संख्या सफेद पृष्ठभूमि (White Background) पर काले रंग में होनी चाहिए. वहीं वाणिज्यिक वाहनों या कमर्शियल वाहनों के लिए, पीले रंग की पृष्ठभूमि पर काले अक्षर में लिखा होना चाहिए. रजिस्ट्रेशन प्लेट पर फैंसी अक्षरों, चित्रों, कलाओं और नामों को प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं है. 

नंबर प्लेट को सभी मोटर वाहनों के आगे और पीछे की तरफ प्रदर्शित किया जाना चाहिए. मोटरबाइक के मामले में, सामने पंजीकरण संख्या को मडगार्ड या प्लेट जैसे वाहन के किसी भी हिस्से पर हैंडलबार के समानांतर प्रदर्शित किया जाना चाहिए. यहां तक की वाहन पर लगाए जाने वाले रजिस्ट्रेशन प्लेट की साइज को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. 

इतनी होगी चाहिए नंबर प्लेट की साइज़: 

  • दोपहिया और तिपहिया वाहन- 200 x 100 मिमी
  • हल्के मोटर वाहन / यात्री कार के लिए- 340x 200 मिमी या 500 x 120 मिमी
  • मध्यम/भारी वाणिज्यिक वाहनों के लिए- 340 x 200 मिमी
नंबर प्लेट

हर नंबर प्लेट कुछ कहता है: 

नंबर प्लेट को आसानी से समझने के लिए हमने यहां पर इसे पांच अलग-अलग हिस्सो में बांटा है. इन सभी भागों को समझकर आप वाहन से जुड़ी तमाम जानकारी आसानी से हासिल कर सकते हैं. आइए एक नंबर प्लेट के प्रत्येक हिस्से को संक्षेप में समझते हैं.

पहला हिस्सा: 

पहला भाग केंद्र शासित प्रदेश या राज्य को निर्धारित करता है जिसे दो अक्षरों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में, मोटर वाहन नंबर प्लेट MH कोड से शुरू होती है, दिल्ली के वाहनों के लिए 'DL' या उत्तर प्रदेश के लिए 'UP' का इस्तेमाल किया जाता है. इससे आप ये जान सकते हैं कि उक्त वाहन किस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित है. यह तरीका कहीं न कहीं 1980 के दशक में शुरू हुआ था.

दूसरा हिस्सा: 

नंबर प्लेट में राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को दर्शाने वाले अक्षर के बाद आने वाले 2 अंक राज्य की अनुक्रमिक संख्या को दर्शाते हैं. हर राज्य में एक जिला होता है, ये नंबर इस बात की पहचान होते हैं कि, उक्त वाहन किस जिले से संबंधित है. तात्पर्य यह है कि प्रत्येक जिले का अपना क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय होता है जो मोटर वाहन पंजीकरण (Registration) का जिम्मेदार होता है. 

तीसरा हिस्सा: 

नंबर प्लेट के तीसरे हिस्से में अंग्रेजी के दो अक्षर होते हैं जैसे कि 'AB' ये वाहन के रजिस्ट्रेशन की तत्तकालिक सीरीज को दर्शाते हैं. कुछ लोग इन दो अक्षरों को देखकर ही इस बात का अंदाजा लगा लेते हैं कि, वाहन लगभग कितना पुराना है. इसके लिए मौजूदा सीरीज से मैच करने की जरूरत होती है. 

चौथा हिस्सा: 

वाहन के नंबर प्लेट का चौथे और आखिरी हिस्से में चार अंक दिए जाते हैं, मसलन '1234' ये वाहन का यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर होता है. कुछ लोग अपने पसंद के अनुसार वीआईपी या फैंसी नंबर का भी उपयोग करते हैं. इसके लिए उन्हें आरटीओ से पसंदीदा नंबर खरीदना होता है, जिसकी कीमत रेगुलर रजिस्ट्रेशन शुल्क से ज्यादा होती है. आखिरी के ये चार अक्षर सभी वाहनों के लिए कोड भी सुनिश्चित करता है. 

पांचवा हिस्सा: 

नंबर प्लेट के बाईं तरफ आपको अंग्रेजी में 'IND' लिखा हुआ दिखता है, ये इस बात को दर्शाता है कि उक्त वाहन भारत में रजिस्टर्ड है. इसके उपर अशोक चक्र दिया जाता है. ये क्रोमियम बेस्ड होता है, और इसके नीचे नंबर प्लेट का लेजर पिन कोड दिया जाता है. कुछ राज्य और क्षेत्र (जैसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) व्हीकल सीरीज नंबर से पहले एक अतिरिक्त अक्षर जोड़ते हैं जो कि वाहन के टाइप के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मसलन, दिल्ली मोटरबाइक, कार, इलेक्ट्रिक वाहन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्हीकल इत्यादि. 

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