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Friday, September 3, 2021

जिप प्रत्याशी चार तो मुखिया दो बाइक से कर सकेंगे चुनाव प्रचार - Hindustan हिंदी

कुर्साकांटा । निज प्रतिनिधि

पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासनिक तैयारी जोरों पर है। प्रशासन से लेकर निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि व संभावित उम्मीदवार चुनावी मोड में हंै। इसके साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव 21 के विभिन्न पदों के उम्मीदवार के लिए प्रचार प्रसार व क्षेत्र भ्रमण के लिए वाहनों की संख्या निर्धारित कर दी है। इसके लिए प्रत्याशी को प्रशासन से अनुमति लेनी होगी। बीडीओ रेखा कुमारी ने बताया कि आयोग ने ग्राम पंचायत के सदस्य व ग्राम कचहरी के पंच पद के प्रत्याशी को चुनाव प्रचार के लिए एक यांत्रिक दुपहिया वाहन चला सकेंगे। वहीं मुखिया, सरपंच व समिति सदस्य पदों के प्रत्याशी को दो यांत्रिक दुपहिया वाहन यथा एक हल्का मोटर वाहन अनुमान्य किया गया है। जबकि जिला परिषद का क्षेत्र बड़ा होता है। इस पद के प्रत्याशी को अधिकत्तम चार दुपहिया वाहन अथवा दो हल्के मोटर वाहन या दो दरपहिया वाहन तथा एक हल्का मोटर वाहन अनुमान्य है। यांत्रिक वाहनों की संख्या का निर्धारण क्षेत्र के विस्तार को ध्यान में रखकर किया गया है। यांत्रिक वाहनों से कम समय में अधिक क्षेत्रों का दौरा किया जा सकता है। प्रत्याशी ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं से सम्पर्क कर सकते हैं। इतना ही नहीं अगर प्रत्याशी निर्धारित यांत्रिक वाहनों के अतिरिक्त गैर यांत्रिक साधनों यथा बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी आदि से भी प्रचार करना चाहते हैं तो अनुमति लेनी होगी। इसका आने वाली व्यय भी उनके निर्वाचन व्यय में जोड़ दिया जाएगा। इसक अलावे जिला परिषद सदस्य पद के प्रत्याशी को चार यांत्रिक दुपहिया वाहन अथवा दो हल्के वाहन का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है। वाहनों की उक्त अनुामन्यता मात्र चुनाव प्रचार कार्य के लिए है जो मतदान के समय की समाप्ति के 48 घंटे पूर्व तक ही किया जा सकता है। इसके बाद किसी प्रत्याशी अथवा समर्थक प्रचार प्रसार के लिए मोटर वाहन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

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Thursday, September 2, 2021

मोटर वाहन कानून के दो साल में 8 करोड़ ट्रैफिक चालान, लेकिन सड़क पर सुविधाओं के लिए जूझ रहे यात्री - NDTV India

मोटर वाहन कानून के दो साल में 8 करोड़ ट्रैफिक चालान, लेकिन सड़क पर सुविधाओं के लिए जूझ रहे यात्री

Road Safety को लेकर मोटर वाहन कानून में हैं तमाम अहम प्रावधान

नई दिल्ली:

देश में वाहन दुर्घटनाओं (Road Accidents) में कमी लाने और यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 1 सितंबर 2019 से मोटर वाहन का नया कानून लागू किया गया था. नया मोटर वहिकल ऐक्ट लागू होने के 23 महीनों मे करीब 8 करोड़ ट्रैफिक चालान (Traffic Challan) किए गए हैं. लेकिन इन दो वर्षों में रोड सेफ्टी बोर्ड के गठन, सड़क सुरक्षा पर खर्च, राज्यों में रोड सेफ्टी अथॉरिटी बनाने और यात्रियों को सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर निराशाजनक प्रगति देखने को मिली है.  सड़क सुरक्षा, सुविधा और अधिकारों पर पर्याप्त फोकस नहीं है. रोड सेफ्टी से जुड़े एनजीओ और लाखों ट्रक चालकों से जुड़ी ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. जानिए 10 बड़ी चुनौतियां...

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संसद के मानसून सत्र में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री (Ministry of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी ने बताया था कि नए मोटर वाहन कानून (Motor Vehicles (Amendment) Act 2019) के पहले के 23 महीने यानी करीब दो साल की बात करें तो 1,96, 58, 897 ट्रैफिक चालान हुए थे, जबकि नया कानून लागू होने के बाद इनकी तादाद बढ़कर 7,67,81,726 हो गई है. यानी पिछले दो साल में चालान करीब चार गुना बढ़ गए हैं. मंत्रालय (MoRTH) अपनी पीठ थपथपा रहा है कि आधुनिक कैमरे, स्पीड गन आधारित ऑटोमैटिक ट्रैफिक उल्लंघन सिस्टम लगाकर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ा जा रहा है, लेकिन सड़क सुरक्षा पर फोकस नहीं है.

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1. चालान काटने की जगह रोड सेफ्टी पर हो फोकस
सड़क सुरक्षा से जुड़े संगठन ट्रैक्स (TRAX) का कहना है कि ट्रैफिक चालान ज्यादा होने का मतलब तो यह भी निकलता है कि यातायात नियमों का उल्लंघन बढ़ गया है. ट्रैफिक पुलिस इंस्पेक्टर अब ट्रैफिक नियमों का पालन कराने की बजाय ज्यादा से ज्यादा चालान काटने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है, जो कानून की मंशा को गलत दिशा में ले जाता है. देश में आज भी 80 फीसदी इलाकों में ट्रैफिक पुलिस का कोई ढांचा ही नहीं है. 

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2. राज्यों में अलग-अलग जुर्माने हैं चुनौती
नए मोटर वाहन कानून (New Motor Vehicle Act 2019)  को पूरे देश में मॉडल कानून की तरह लागू होने का मकसद पूरा नहीं हुआ. हजारों रुपये के ट्रैफिक चालान (Traffic Violation) सुर्खियां बनते ही उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक गुजरात जैसे तमाम राज्यों ने चालान राशि 50 से 60 फीसदी तक घटा दी. इससे नए कानून की जटिलताएं बढ़ गईं. 

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3. रोज हाईवे तो बन रहे, पुलिसकर्मी नहीं बढ़ रहे
ट्रैक्स की प्रतिनिधि रजनी गांधी ने कहा, देश में रोज 35-40 किलोमीटर का हाईवे बन रहा है, उसी हिसाब से पुलिसकर्मी बढ़ने चाहिए. लेकिन हाईवे पुलिसिंग राज्यों के पास है. यह केंद्र के जिम्मे होना चाहिए था. रजनी गांधी के मुताबिक, नियम के हिसाब से 300 आबादी पर एक पुलिसकर्मी होना चाहिए. भारत में यह अनुपात एक हजार है. एक की तीन हजार वाहन पंजीकृत हो रहे हैं, लेकिन कर्मचारी उतने ही हैं. रोड सेफ्टी का काम कैसे देखेंगे, जब काम का इतना बोझ है. 

3. जुर्माना बढ़ने से बढ़ा भ्रष्टाचार-AIMTC
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress) के अध्यक्ष कुलतारण सिंह अटवाल और महासचिव नवीन गुप्ता का कहना है कि ट्रैफिक चालान की जुर्माना राशि बढ़ाने से भ्रष्टाचार बढ़ा है. 5-10 हजार के चालान की जगह 1-2 हजार रुपये घूस देने का दबाव बढ़ा है. मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में बिना चेक पोस्ट के ट्रकों का आगे बढ़ना संभव नहीं है. खड़े ट्रकों की भी तस्वीरें खींचकर चालान को भेज दी जाती हैं और जब फिटनेस टेस्ट या किसी अन्य काम के लिए आरटीओ जाते हैं तो चालान का पता लगता है. गलत चालान की शिकायत भी नहीं कर पाते क्योंकि चालान मध्य प्रदेश के भिंड में हुआ लेकिन 2-3 दिन में ही गाड़ी चेन्नई पहुंच गई. ऐसे में एमपी के कोर्ट जाकर कोर्ट में प्रतिवाद की जगह चालान भरने का विकल्प ही बचता है. 

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4. वीडियो आधारित साक्ष्यों का इस्तेमाल क्यों नहीं
एआईएमटीसी (AIMTC) का कहना है कि कोर्ट चालान में डिजिटल सुनवाई (Challan Virtual hearing) का प्रावधान हो और फोटो बेस्ड ट्रैफिक चालान की जगह वीडियो बेस्ड एविडेंस (Video Evidence) पर चालान होने चाहिए, ताकि किसी भी वाहनमालिक या चालक के साथ गलत या जबरदस्ती चालान की आशंका न हो. ट्रैक्स की रजनी गांधी का कहना है कि हर राज्य का अलग सिस्टम होने की वजह से केंद्र सरकार इसमें काफी कुछ नहीं कर सकती. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस या ऐसे अन्य संगठनों को सरकार के समक्ष आवाज उठाने चाहिए. 

5. शिकायत करने का उचित प्लेटफॉर्म नहीं
ट्रैक्स (Trax) के अध्यक्ष अनुराग कुलश्रेष्ठ का कहना है कि नए कानून के तहत खराब रोड, डिजाइन या अन्य असुविधाओं को लेकर निर्माणकर्ता कंपनी पर जुर्माने का प्रावधान था, लेकिन रियल एस्टेट के रेरा जैसा कोई उचित सुलभ मंच या प्लेटफॉर्म नहीं है, जहां आम जनता भी आसानी से शिकायत कर सके. रजनी गांधी ने कहा कि ऑटो, कैब चालकों का कहना है कि गलती पर हमारे चालान तो ठीक हैं, लेकिन गलत रेड लाइट सिग्नल (Traffic Signal) , मार्किंग या लाइट खराब हैं या ऐसी किसी  वजह से कोई हादसा होता है तो निर्माणकर्ता कंपनियां, एजेंसियां पर जुर्माना क्यों नहीं लगता. ऐसे तमाम ब्लैक स्पॉट (Black Spot) ऐसे भी जो चिन्हित नहीं हो पाए हैं. अगर चालान के इतनी भारी राशि वसूली जारी रही हैं तो अच्छी सड़क भी यात्रियों का अधिकार है. एनजीओ और वालंटियर भी ये मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं है.

6. बिना टेक्निकल स्टॉफ के हो रहा काम 
कुलश्रेष्ठ का कहना है कि मोटर वाहन का नया कानून कहता है कि आपके यहां तकनीकी स्टॉफ टेक्निकल नालेज के साथ है, जिसमें एएमवीआई, एमवीआई, एआरटीओ और आरटीओ. बाकी राज्यों में 70 से 80 फीसदी नॉन टेक्निकल स्टॉफ है, जो मोटर वाहन कानून के खिलाफ काम कर रहे हैं. जैसे इंजीयनिरिंग के कार्य में इंजीनियरिंग की डिग्री जरूरी है. लेकिन इस केंद्रीय कानून के तहत इसमें ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग या मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमाधारक कर्मचारी हैं ही नहीं. 

7. रोड सेफ्टी अथॉरिटी हाथ पर हाथ धरे बैठीं
राज्यों में रोड सेफ्टी अथॉरिटी (Road Safety Authority) की जिम्मेदारी सड़क सुरक्षा पर नीति निर्माण और क्रियान्वयन का है, लेकिन साल में एक बार बैठक से क्या निगरानी और क्या अनुपालन होगा. सवाल है कि इन एजेंसियों के पास वो अधिकार है, जो दूसरे विभाग के अधिकारियों, आईएएस आईपीएस को निर्देशित कर पाएं.नौ साल लंबी कवायद के बाद वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) रोड सेफ्टी कमेटी गठित हुई. 8-9 राज्यों में रोड सेफ्टी अथॉरिटी बन पाई है. जिला स्तर रोड सेफ्टी कमेटी का काम तो न के बराबर है. 

8. रोड सेफ्टी फंड का सही जगह खर्च नहीं
अनुराग ने कहा कि केंद्र सरकार रोड सेफ्टी के लिए राज्यों को कुछ न कुछ फंड आवंटित करती है, लेकिन राज्यों के पास नीति, एजेंसी नही हैं तो वो कहां खर्च करेंगे. तो वो बस रस्मअदायगी के तौर पर पोस्टर, होर्डिंग रैली, जागरूकता कार्यक्रम खर्च कर देते हैं. जमीनी धरातल पर सड़क डिजाइन, पुलिसिंग या ट्रैफिक मैनेजमेंट का ऑडिट कौन करेगा. ट्रैफिक पुलिस को यातायात प्रबंधन के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग, संसाधन पर कुछ नहीं हो रहा. वे सिर्फ जाम खुलवाने, लाल हरी बत्ती, नेता की ड्टूयी या चालान तक सीमित है. मॉडर्न टेक्नोलॉजी, पोस्ट क्रैश इनवेस्टीगेशन का काम ट्रैफिक पुलिस नहीं करती, ताकि फिर वैसे ही हादसे न हों क्या है.

9. हाईवे पर ट्रैफिक प्रबंधन की अलग एजेंसी हो
नेशनल हाईवे, राज्यों के राजमार्ग, एक्सप्रेसवे (National Highway Expressway)पर रोजाना सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. खड़े वाहनों पर पीछे से भिड़ंत, लाइटें न होना, जानवरों के कारण दुर्घटनाओं के वाकये हैं. गोल्डन ऑवर में इलाज के लिए सुविधाएं सिर्फ बड़े हाईवे के चुनिंदा स्थानों तक सीमित हैं. क्या बेहतरी होनी चाहिए. ट्रैक्स की रजनी गांधी ने कहा कि सड़क सुरक्षा के फंड का उचित खर्च का दारोमदार राज्यों पर है. हाईवे पर पुलिसिंग, एंबुलेंस, अस्पतालों में इलाज पर एक पूरा मैकेनिज्म होगा, तभी दुर्घटनाएं कम होंगी और जानें बचाई जा सकेंगी. अगर स्टेट हाईवे पर गाड़ी खराब हुई तो उसे हेल्पलाइन से तुरंत मदद मिले. टोइंग वाहन मिले. क्या उसको लेकर कोई जागरूकता वाहन चालकों में इसके लिए है क्या. क्या वाहनों को पार्किंग की जगह है या नहीं. 

10. कानूनों की धज्जियां उड़ा रहीं ऑटोमोबाइल कंपनियां
एमपी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बाइक में हैंड ग्रिप और सारी गार्ड अनिवार्य किया गया था, लेकिन 25 सालों में सारी कंपनियों ने अपने वाहनों से इसे गायब कर दिया है. इसके लिए किसे दोषी ठहराया जाए. रजनी गांधी ने बताया कि मोटर वाहन कानून के रूल 138 एफ4 में लिखा है कि टू व्हीलर के साथ हेलमेट देना है. कुछ राज्यों ने अब शुरू किया है. 1989 का यह आदेश है, लेकिन राज्यों को पता ही नहीं है. वाहन कंपनियां, डीलर भी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

11. घटिया नकली हेलमेट पर रोक नहीं
टू व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चर एसोसिएशन (Two Wheeler Manufacture Association) के प्रेसिडेंट राजीव कपूर का कहना है कि 85 फीसदी हेलमेट में घटिया हैं, नकली माल बिक रहा है. 20-25 फीसदी महिलाओं के सिर पर नकली हेलमेट है. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य सरकारें, पुलिस और बीआईएस कोई कदम नहीं उठाता. इसकी मैन्युफैक्चरिंग ही रुक जाए तो घटिया हेलमेट पहनने की बात क्यों आएगी. गांधी ने कहा कि इसको लेकर हेलमेट इंडिया कोएलिशन बनाया गया है, पर कार्रवाई तो राज्यों को ही करनी है.

12. खराब वाहन पर जुर्माना या वापस लेने का क्या हुआ 
देश में खराब गुणवत्ता के वाहन पर जुर्माना या उन्हें वापस लेने पर सरकारों ने कंपनियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए. अनुराग कुलश्रेष्ठ का कहना है कि वहिकल स्टार रेटिंग या रिकॉलिंग की बात छलावा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे जोखिम वाला वाहन कार है. बाइक के लिए अलग ट्रैक. है.जबकि हमारे यहां 75 फीसदी बाइक सड़क पर चलती हैं, जिसे हम नजरअंदाज करते हैं. देश में 35 फीसदी बाइक सवार सड़क दुर्घटना में मर रहे हैं, कार से महज 4 फीसदी.

यात्रियों के इन अधिकारों पर बात की जाए...

1. राइट टू रोड सेफ्टी का अधिकार मिले
सड़क सुरक्षा के अधिकार (Right to Road safety) पर ट्रैक्स का कहना है कि सड़क की खराबी, रोड मार्किंग, लाइट न होने, लाइट, पुल-अंडर पास, हाईवे पर पेट्रोलिंग, पार्किंग सुविधाएं, हादसे के दौरान आपात सहायता में दिक्कतों की शिकायतों के लिए रेरा जैसा प्लेटफॉर्म सही दिशा में कदम होगा. रोड सेफ्टी अथॉरिटी और जिलों में रोड सेफ्टी कमेटी के जरिये ऐसा हो सकता है, लेकिन नौकरशाही हावी है. सड़ुक सुरक्षा एजेंसियों, मीडिया, एनजीओ और जनता की भागीदारी के बगैर ये मंच नाकाम साबित होंगे.

2. सारी सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हों
भारत में 2014 से 2018 के बीच सालाना 4.5 लाख से 5 लाख के करीब सड़क दुर्घटनाएं अधिकृत तौर पर दर्ज हुईं. जबकि 1.3 लाख से 1.5 लाख सालाना मौतें हुईं. लेकिन 2018 में सड़क हादसों में मौतों का डब्ल्यूएचओ का आंकड़ा 3 लाख और सरकार का 1.5 लाख के करीब है. सड़क दुर्घटना की अंडर रिपोर्टिंग यानी सारे मामलों का दर्ज न होना भी समस्या है. लिहाजा एक डेडीकेटेड पोर्टल हो, जिस पर सड़क दुर्घटनाओं को वाहन मालिक खुद दर्ज करा सके. कानून कार्रवाई की जिम्मेदारी उस पर ही छोड़ी जाए. इससे देश में सड़क हादसों की सही तस्वीर मिलेंगी और ट्रैफिक पर भारी बोझ का वास्तविक आंकड़ा सामने आएगा.

3. सारथी पोर्टल को अपडेट करें
ट्रैक्स का कहना है कि सारथी (Sarthi) पोर्टल पर सभी राज्यों का डेटा अभी तक अपडेट नहीं हो पाया है. कितनी गाड़ियां हर महीने पंजीकृत होती हैं और कितनी बार्ड होती हैं, उसका डेटा भी जिले स्तर पर होना चाहिए. जब तक ये डेटा अपडेशन नहीं होगा, पूरी मदद आम नागरिकों को नहीं मिल पाएगी. यह राज्य स्तर पर समस्या है. सेंट्रल पोर्टल से जुड़ जाएंगे. 

4. भारत सीरीज से जुड़ें राज्य
भारत सीरीज (Bharat Series) के तहत केंद्रीकृत नंबर है, जिसके तहत वाहनों का ट्रांसफर (Vehicle Transfer) या चालान वगैरा कहीं भी कभी भी भर सके. लेकिन ये अब राज्यों के पाले में है कि वो अपने राज्यों के नंबर खत्म करें. इससे निजी वाहनों (Passenger Vehicles) और व्यावसायिक वाहनों (Commercial Vehicles) को फायदा मिलेगा. हिट एंड रन केस में मुआवजा राशि बढ़ाने के साथ तुरंत मुआवजा जारी करने का केंद्र ने आदेश दिया है, लेकिन राज्य सरकारें इन मामलों में उदासीन हैं.  
 
भयावह आंकड़े....

13.5 लाख लोग मरते हैं हर साल सड़क दुर्घटना में दुनिया में 
93 फीसदी मौतें इनमें से कम आय वाले गरीब देशों में हो रहीं
3 गुना ज्यादा मौतें गरीब देशों में विकसित देशों की तुलना में 
1.5 लाख सालाना मौतें सड़क हादसों में भारत में
4.5 लाख के करीब सड़क दुर्घटनाएं हर साल भारत में 

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मुरादाबाद समेत उत्तर प्रदेश के 17 शहरों में अब आधुनिक तकनीक वाले कैमरे करेंगे वाहनों चालान, जानिये कैसे - दैनिक जागरण

मुरादाबाद, [प्रदीप चौरसिया]। Cameras with Modern Technology will Challan Vehicles : परिवहन विभाग ने अपने सिस्टम को डिजिटल इंडिया के तहत आधुनिक बनाने के साथ पेपर लेस करना शुरू कर दिया है। परिवहन विभाग अब  नियम के विरुद्ध वाहन चलाने वाले वाहन चालकों को मैनुअल के बजाय आनलाइन चालान कर रहा है। प्रमाण के लिए मोबाइल से फोटो लेकर सर्वर पर डाउन लोड कर दिए जाते हैंं। इस मामले में चालान करने वाले ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते हैं। इलेक्ट्रानिक सिस्टम से चालान करने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं हैं।

अब बिना हेलमेट या तेज गति से वाहन चला रहे हैं तो कैमरा स्वत: चालान कर नोटिस भेज देगा। साथ ही भ्रष्ट ट्रैफिक व परिवहन विभाग की राज खोलने का काम करेगा। मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने वाला राजपत्र जारी किया गया है। प्रथम चरण में देश भर के 132 शहरों में आधुनिक उपकरण लगाने की स्वीकृति दी गई है। जिसमें मुरादाबाद व गजरौला शहर का चयन किया गया है। सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव पर भारत का राजपत्र 22 अगस्त को जारी किया है। जिसमें नियम 167 ए के तहत वाहनों की निगरानी करन के लिए इलेक्ट्रानिक सिस्टम को मान्यता दी है।

जिसके तहत शहर के चौक चौराहों पर आधुनिक सिस्टम वाला कैमरा, स्पीड गन, आटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान करने और गाड़ी का भार बताने वाला वाला उपकरण लगाने का प्रावधान है। आधुनिक उपकरण नियम के विरुद्ध वाहन चलाने वालों को चालान करने के साथ प्रमाण के लिए फोटो भी भेजेगा। भ्रष्ट अधिकारियों वीडियो अधिकारियों तक भेजने का काम करेगा। यह उपकरण लगाने के लिए सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बजट आवंटित किया जाएगा। प्रथम चरण में देश भर में 132 शहरों में उपकरण लगाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद, गजरौला समेत 17 शहरों में लगाया जाएगा।

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) छवि सिंह ने बताया कि इस संबंध में राजपत्र जारी किया गया है। इसका अनुपान प्रदेश सरकार द्वारा कराया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में निगरानी उपकरण लगाने वाले शहरों का नाम

॰ मुरादाबाद

॰ गजरौला

॰ फिरोजाबाद

॰ गाजियाबाद

॰ झांसी

॰ कानपुर

॰ खुर्जा

॰ लखनऊ

॰ नोएडा

॰ रायबरेली

॰ वारणसी

॰ गोरखपुर

॰ मेरठ

॰ आगरा

॰ प्रयाग

॰ अनपरा

॰ बरेली

देश के किस प्रदेश के कितने शहर में लगाए जाएंगे उपकरण

॰ आंध्र प्रदेश- 13

॰ असम- 5

॰ बिहार- 3

॰ चंडीगढ़- 1

॰ छत्तीसगढ़- 3

॰ दिल्ली- 1

॰ गुजरात- 4

॰ हिमाचल प्रदेश- 7

॰ जम्मू कश्मीर-2

॰ झारखंड- 3

॰ कर्नाटक-4

॰ मध्य प्रदेश- 7

॰ महाराष्ट्र- 19

॰ मेघालय-1

॰ नागालैंड-2

॰ उड़ीसा- 7

॰ पंजाब- 9

॰ राजस्थान-5

॰ तमिलनाडू- 4

॰ तेलगांना-4

॰ पश्चिम बंगाल-7

॰ हरियाणा- 1

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Wednesday, September 1, 2021

गजब हाल : एक लाख वाहनों पर 295 करोड़ टैक्स बकाया - दैनिक जागरण

अंकुर अग्रवाल, देहरादून। आमजन से छोटे-मोटे टैक्स की वसूली के लिए तमाम हथकंडे अपनाने वाला परिवहन विभाग प्रदेश के बड़े ट्रांसपोर्टरों पर मेहरबान बना हुआ है। प्रदेश में तकरीबन एक लाख व्यावसायिक वाहन मालिक पर 295 करोड़ रुपये का टैक्स बकाया है, लेकिन परिवहन विभाग यहां देखने की भी जहमत नहीं उठा पा रहा। प्रवर्तन और वसूली कार्य में विभाग की यह लापरवाही सरकारी खजाने पर भारी पड़ रही। हैरानी की तो यह है कि परिवहन अधिकारियों को बकाया टैक्स की जानकारी ही नहीं थी। शासन को जानकारी दी गई थी कि महज 20-25 करोड़ का टैक्स बकाया है। परिवहन सचिव डा. रणजीत सिन्हा की ओर से जब मामले में जांच बैठाई गई और टैक्स से जुड़ी फाइलें टटोली गईं तो सच्चाई सामने आई।

परिवहन विभाग के साफ्टवेयर के जरिये सामने आई सच्चाई में बकाया 295 करोड़ रुपये में 250 करोड़ रुपये विभाग के महज सात कार्यालयों के हैं। बाकी 25 करोड़ की राशि शेष 12 कार्यालयों की है। एक अप्रैल से अब तक कार्यालयों पर बकाया राशि व वसूली की पूरी जानकारी सचिव तक पहुंची तो वह भी हैरान रह गए। प्रदेश में परिवहन विभाग के 19 कार्यालयों में अब तक सिर्फ 662277551 रुपये की वसूली हुई है और इसमें भी मैदानी कार्यालयों की कार्रवाई का फीसद बेहद कम रहा। परिवहन सचिव की ओर से सभी आरटीओ-एआरटीओ का इस प्रकरण में स्पष्टीकरण तलब किया गया है। साथ ही बकायेदारों को नोटिस भेजने समेत प्रवर्तन में तेजी लाने के आदेश दिए गए।

25 फीसद जुर्माने संग 370 करोड़

अगर परिवहन विभाग नियमों के साथ 295 करोड़ रुपये बकाये की वसूली करता है तो उसे करीब 370 करोड़ रुपये राजस्व मिलेगा। दरअसल, मोटर वाहन अधिनियम में टैक्स बकाया होने पर मोटर मालिक पर 25 फीसद जुर्माना लगता है।

टैक्स के दस बड़े बकायेदार

  • कार्यालय, बकाया राशि
  • दून आरटीओ, 66.75 करोड़
  • हल्द्वानी आरटीओ, 49.66 करोड़
  • ऊधमसिंहनगर एआरटीओ, 47.07 करोड़
  • हरिद्वार एआरटीओ, 39.57 करोड़
  • काशीपुर एआरटीओ, 22.49 करोड़
  • ऋषिकेश एआरटीओ, 16.10 करोड़
  • रुड़की एआरटीओ, 9.36 करोड़
  • पिथौरागढ़ एआरटीओ, 7.16 करोड़
  • अल्मोड़ा एआरटीओ, 6.39 करोड़
  • टनकपुर एआरटीओ, 5.22 करोड़

किस पर कितना बकाया

  • वाहन, बकाया राशि
  • भार व बड़े वाहन, 160.70 करोड़
  • आटो, टैक्सी व बस, 132.67 करोड़
  • निजी वाहन, 2.51 करोड़

राजस्व घाटे के प्रमुख कारण

  • मैदानी कार्यालयों में राजस्व वसूली का काम पड़ा है ठप। रात्रि व दुर्गम में नहीं हो रही कोई चेकिंग।
  • प्रवर्तन टीमों के पास वसूली व बकाया का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं।
  • ट्रांसफर एक्ट होने के बावजूद सालों से एक ही जगह बैठे हैं अधिकारी।
  • पदोन्नति के बाद भी अधिकारियों का दूसरे दफ्तर में नहीं हो रहा तबादला।
  • प्रदेश में प्रवर्तन के लिए चार आरटीओ बनाने के बावजूद नहीं हो रही बकाये की वसूली।
  • परिवहन मुख्यालय में बैठे अधिकारी नहीं निकल रहे चेकिंग को बाहर।

डा. रणजीत सिन्हा (सचिव परिवहन) का कहना है कि वाहनों के टैक्स बकाये को लेकर बड़ी अनियमितता सामने आई है। बकाया रकम काफी ज्यादा है, जबकि अधिकारी इसे कम बता रहे थे। सभी कार्यालयों से किस वाहन पर कितना टैक्स बकाया है, इसका रिकार्ड मांगा गया है। वसूली के लिए प्रवर्तन टीमों को दिन-रात सड़क पर उतारा जाएगा और वाहन मालिक को नोटिस भेजे जाएंगे।

यह भी पढ़ें:-टैक्स चोरी कर उत्तराखंड में धड़ल्ले से दौड़ी रही दूसरे प्रदेशों की बस, रोडवेज के पास नहीं रिकार्ड

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सड़कें होंगी तभी सुरक्षित, जब लोग खुद समझेंगे अपनी जिम्मेदारी : एसएसपी - दैनिक जागरण

जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : संशोधित मोटर वाहन अधिनियम व सड़क सुरक्षा उपायों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ऊधमपुर जिला पुलिस की ओर से यातायात जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। टाउन हाल के पास स्थित मेटाडोर स्टैंड पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों को जागरूक किया गया।

कार्यक्रम में एसएसपी ऊधमपुर सरगुन शुक्ला बतौर मुख्य मेहमान शामिल हुई। इस दौरान ऊधमपुर पुलिस ने मौजूद लोगों को नए यातायात नियमों के बारे में जागरूक किया और चालकों व आम जनता को यातायात नियमों का पालन करते हुए दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट और चारपहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट लगाने की अपील की। इस अवसर पर लोगों में नए यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने वाले पंपलेट, लोगो यात्रियों में वितरित किए गए।

यातायात जागरूकता एवं कम्यूनिटी पुलिसिंग के तहत पहल के रूप में एसएसपी उधमपुर ने बिना हेलमेट के पकड़े गए मोटरसाइकिल चालकों के बीच मुफ्त हेलमेट वितरित कर सड़क दुर्घटनाओं के दौरान जानी नुकसान को कम करने का प्रयास किया।

इस अवसर पर एसएसपी ने सभी अभिभावकों से अपील की कि वे अपने नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने से रोकें, क्योंकि इस तरह के उल्लंघन पर न केवल जुर्माना किया जाएगा, बल्कि अभिभावकों पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सड़कों को तभी सुरक्षित बनाया जा सकता है, जब लोग खुद अपनी जिम्मेदारी समझें और यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाएं। जागरूकता से ही हादसों से बचा जा सकता है।

इस अवसर पर एएसपी ऊधमपुर अनवर उल हक, डीएसपी मुख्यालय साहिल महाजन, एसएचओ ऊधमपुर चमन गोरखा सहित अन्य मौजूद थे।

Edited By: Jagran

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निजी एंबुलेंस पर सख्ती, प्रति किलोमीटर दरें निर्धारित होंगी - अमर उजाला - Amar Ujala

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जम्मू। दूसरे राज्यों में मरीजों को ले जाने के एवज में भारी भरकम राशि वसूल रही निजी एंबुलेंसों पर सख्ती की जाएगी। मंडलायुक्त जम्मू डॉ. राघव लंगर ने निजी एंबुलेंस के पंजीकरण और दरें तय करने के लिए परिवहन आयुक्त को मोटर वाहन अधिनियम के तहत आवश्यक आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं। इसमें एसी/गैर एसी/क्रिकिटल केयर एंबुलेंस की प्रति किमी. दरों को अधिसूचित किया जाए। इसके साथ स्वास्थ्य निदेशालय जम्मू की अनिवार्य एनओसी के बाद ही निजी एंबुलेंस सड़क पर दौड़ सकेगी।
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मंडलायुक्त प्रशासन को दूसरे राज्यों की निजी एंबुलेंस द्वारा मरीजों से उन्हें शिफ्ट करने के दौरान बड़ी राशि वसूलने की शिकायतें मिल रही थीं। इस पर प्रशासन ने कड़ा संज्ञान लेते हुए निजी एंबुलेंस के लिए जरूरी औपचारिकताएं तय करने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह स्वास्थ्य निदेशक जम्मू को सड़क पर एंबुलेंस चलाने से पहले निदेशालय की एनओसी अनिवार्य रूप से प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा है। मोटर वाहन विभाग इस संबंध में 24-6-2016 को पहले ही आदेश जारी कर चुका है, लेकिन इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। मंडलायुक्त कार्यालय ने सभी आरटीओ और एआरटीओ (पंजीकरण प्राधिकरणों) को जमीन पर प्रावधानों को लागू करने और जनहित के इस मामले में जिला उपायुक्तों और एसएसपी की आवश्यक मदद लेने का निर्देश दिया है। नई दरें यूटी के भीतर और बाहर निजी एंबुलेंस सेवा के लिए लागू होंगी। टैरिफ के संबंध में सुझाव स्वास्थ्य निदेशालय के माध्यम से प्राप्त हुए हैं। कोई भी अधिकृत डीलर अब स्वास्थ्य निदेशक से विशिष्ट एनओसी के बिना किसी भी निजी एजेंसी को एंबुलेंस नहीं बेच सकता है।

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झारखंड: मोटर फिटनेस सर्टिफिकेट लेना हुआ जटिल, फिटनेस टेस्ट के बाद mvi का सिग्नेचर अनिवार्य - newswing

Nikhil Kumar

Ranchi: राज्य सरकार ने मोटर वाहन के फिटनेस टेस्ट के नियमों में फिर बदलाव किया है ओर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर की शक्ति फिर बढ़ा दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश एवं महाधिवक्ता के परामर्श के बाद राज्य के ऑथोराइज टेस्टिंग स्टेशन पर प्रभावकारी नियंत्रण एवं वाहनों की गुणवत्तापूर्ण फिटनेस जांच के लिए यह फैसला लिया है. अब राज्य में वाहनों, बसों इत्यादि की फिटनेस जांच दो स्तरों पर होगी.

वाहन स्वामी व बस मालिकों के लिये वाहन की जांच ऑथोराइज टेस्टिंग स्टेशन से कराने के बाद वहां से जारी होने वाला सर्टिफिकेट (दुरूस्ती प्रमाण पत्र) को संबंधित जिले के मोटरयान निरीक्षक से कांउटर साइन कराना आवश्यक होगा. मोटरयान निरीक्षक के प्रतिहस्ताक्षर के बिना दुरूस्ती प्रमाण पत्र अब वैध नहीं माना जायेगा. इस संबंध में परिवहन मंत्री चंपई सोरेन के अनुमोदन पर संयुक्त परिवहन आयुक्त,परिवहन विभाग झारखंड ने आदेश जारी कर दिया है.

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वर्तमान में सिर्फ फिटनेस सेंटर के जरिये ही जांच के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिए जाने के बाद वाहनों के परिचालन की अनुमति मिल जाती थी. अब नयी व्यवस्था में वाहन स्वामियों को दो जगहों का चक्कर लगाना होगा. इसमें विलंब की भी आशंका है. सभी जिलों में समान रूप से नियम लागू

परिवहन यानों के फिटनेस जांच एवं दुरूस्ती प्रमाण पत्र निर्गमण के संबंध में प्राप्त परामर्श के आलोक में झारखंड के सभी जिलों में समान रूप से एक प्रावधान लागू करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि वाहन स्वामी अपनी सुविधानुसार परिवहन यानों के फिटनेस जांच एवं दुरूस्ती प्रमाण के लिए अपने जिले के मोटरयान निरीक्षक अथवा ऑथोराइज टेस्टिंग स्टेशन के पास आवेदन दे सकते हैं तथा उनके द्वारा इस संबंध में स्थापित नियमों के अनुसार कार्रवाई की जायेगी.

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रांची व जमशेदपुर में हैं सेटर

झारखंड में फिलहाल रांची व जमशेदपुर में फिटनेस सेंटर स्थापित हैं. निजी संस्थानों द्वारा ये सेंटर संचालित हैं,जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है. रांची के नामकुम में एक सेंटर हाल में खुला है. इसके अलावा जमशेदपुर में वाहन फिटनेस सेंटर स्थापित हैं. इनमें ही वाहन संचालक अपने परिवहन वाहनों का फिटनेस टेस्ट कराते हैं. अब इन सेटरों से जांच के बाद वाहन संचालकों को एमवीआई की भी सहमति लेनी होगी. फिटनेस सेटर से जांच कराने के लिए 1300 रुपये का शुल्क देना होता है. वहीं,एमवीआई के काउंटर साइन के लिए अलग से कोई शुल्क नहीं लगेगा.

प्रक्रिया होगी जटिल: अरूण कुमार साबू

रांची चेंबर ऑफ कामर्स परिवहन उप समिति के चेयरमैन अरूण कुमार साबू ने कहा कि झारखंड मे दों जगह वाहनों के फिटनेस जांच की व्यवस्था कराना सही नहीं है. अगर एक मान्यता प्राप्त संस्थान से फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाता है तो फिर दोबारा वाहनों की जांच के लिए एमवीआई से काउंटर साइन कराना उचित नहीं हैं. इससे प्रक्रिया जटिल ही होगी जबकि इन सेँटरों में जांच के लिए बेहतर टेक्नोलॉजी उपलब्ध हैं.

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Kurukshetra News: वाहन व सारथी पोर्टल से उठाया जा सकता है 22 फेसलेस सेवाओं का लाभ - अमर उजाला

कुरुक्षेत्र। उपायुक्त शांतनु शर्मा। कुरुक्षेत्र। वाहन और सारथी पोर्टल के माध्यम से आधार आधारित 22 फेसलेस सेवाओं का लाभ आमजन को दिया जा ...