हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मोटर वाहन दुर्घटना के मामलों को निपटाने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि सार्वजनिक स्थान पर सड़क दुर्घटना के संबंध में सूचना प्राप्त करने पर संबंधित एसएचओ मोटर वाहन अधिनियम की धारा 159 के अनुसार कदम उठाएं। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच अधिकारी दावा अधिकरण को 48 घंटे के भीतर प्राथमिकी जमा करवाए। पंजीकरण अधिकारी पंजीकरण को सत्यापित करने के लिए बाध्य है। उसे वाहन का, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन की फिटनेस, परमिट और अन्य सहायक मुद्दे और समन्वय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को जिम्मेवार ठहराया गया है।
सभी दस्तावेज स्थानीय भाषा में या अंग्रेजी में दर्ज किए जाने के आदेश दिए गए हैं। जांच अधिकारी को पीड़ित, ड्राइवर, मालिक, बीमा कंपनियों और अन्य हितधारकों को दुर्घटना के बारे में जानकारी देने के आदेश दिए गए हैं। मोटर वाहन संशोधन अधिनियम और नियम में जांच अधिकारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उसकी समय सीमा के भीतर नियमों के तहत कार्य करने की जिम्मेवारी है। पुलिस की ओर से दावा प्राधिकरण के समक्ष प्राथमिकी जमा करवाने पर प्राधिकरण को नियमों के तहत मामला निपटाने के आदेश दिए गए हैं। दावा न्यायाधिकरणों को आदेश दिए गए हैं कि सबसे पहले बीमा कंपनी के नामित अधिकारी और आश्रितों के बीच उचित मुआवजा देने के इरादे से समझौता दर्ज किया जाए। यदि दावेदार इस समझौते से सहमत नहीं है तो उस स्थिति में नियमाें में मामले का शीघ्र निपटारा किया जाए।
Himachal: हाईकोर्ट ने मोटर वाहन दुर्घटना के मामलों को निपटाने के लिए जारी किए जरूरी दिशा-निर्देश, यहां पढ़ें - अमर उजाला
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