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Saturday, January 15, 2022

गाड़ी RC ट्रांसफर कराना क्यों है जरूरी, जानिए भारत में आरसी ट्रांसफर कराने की पूरी प्रक्रिया - दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। कोई भी व्यक्ति जो पुराना वाहन ले रहा है या फिर पुराना वाहन किसी को बेच रहा है, तो उस समय आरसी ट्रांसफर करने की आवश्यकता पड़ती है। आरसी ट्रांसफर करते समय किसी प्रकार की दिक्कत ना आए और बड़ी आसानी से इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सके, इसीलिए देश में रजिस्ट्रेशन को ट्रांसफर करने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।

आरसी ट्रांसफर करना क्यों है जरूरी?

कई ऐसे प्लेटफार्म हैं, जहां पर विक्रेता और क्रेता बिना किसी डीलर के आपस में डील करके वाहन खरीदी या फिर देख सकते हैं और पुराने वाहन को खरीदने के दौरान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट यानी आरसी के लिए आवेदन कर सकती हैं। आरसी ट्रांसफर की महत्वता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि यदि हम किसी को बिना आरती ट्रांसफर किए वाहन बेच देते हैं और उस व्यक्ति का एक्सीडेंट हो जाता है, तो ऐसी ने वाहन का जो चालान काटा जाता है, उसका सारा खर्चा उसी व्यक्ति पर पड़ता है, जिसका वह वाहन व्यक्तिगत तौर पर था और जिसने अभी तक अपने वाहन को वाहन की आरती को ट्रांसफर नहीं किया होगा, ऐसे में आरसी ट्रांसफर बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है।

आरसी के बिना सड़कों पर चलना गैर कानूनी

मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, सभी वाहन मालिकों के पास एक वैध आरसी होना अनिवार्य है, बिना आरसी के भारतीय सड़कों पर वाहन का उपयोग नहीं किया जा सकता है। आरसी को 5 वर्षों के लिए नवीनीकृत (अपडेट) भी किया जा सकता है। आरसी ट्रांसफर की प्रक्रिया हर क्षेत्र के क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में आयोजित की जाती है। सफल पंजीकरण होने के बाद बड़ी आसानी से आरसी ट्रांसफर हो जाती है।

भारत में RC ट्रांसफर प्रक्रिया

भारत में आरसी ट्रांसफर प्रक्रिया को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया गया है– राज्य के भीतर और राज्य के बाहर। राज्य की सीमाओं के भीतर ही यदि वाहन खरीदा या बेचा गया है, तो ऐसे में राज्य के भीतर ही आरसी ट्रांसफर की जाती है। वहीं अगर दूसरे राज्य में उसे बेचा जाता है, उस समय अंतरराज्यीय आरसी ट्रांसफर की जाती है।

राज्य के भीतर वाहन स्थानांतरण प्रक्रिया

क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) वाहन हस्तांतरण प्रक्रिया के लिए मुख्य संगठन है, जिनसे सम्पर्क करना होता है। कुछ भारतीय राज्य आरटीओ से संपर्क करने और वाहन हस्तांतरण प्रक्रिया शुरू करने के लिए ऑनलाइन सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। सामान्य रूप से इस प्रक्रिया में विशिष्ट फॉर्म भरना और आवश्यक दस्तावेज जमा करना होता है, जिसके पश्चात वाहन हस्तांतरण की कार्यवाई आरम्भ हो जाती है।

एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण प्रक्रिया

टू-व्हीलर / फोर-व्हीलर ओनरशिप ट्रांसफर के लिए दोनों राज्यों में एक मजबूत और कार्यात्मक ऑनलाइन प्रक्रिया होनी चाहिए तभी ऑनलाइन अप्लाई किया जा सकता है। ऑफलाइन प्रक्रिया के लिए दो राज्य एवं दो आरटीओ शामिल होते हैं। वाहन पंजीकरण की लागत 600 रूपये निर्धारित किया गया है।

अंतरराज्यीय वाहन पंजीकरण हस्तांतरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • अंतरराज्यीय आरसी (वाहन हस्तांतरण) प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मालिक को विक्रेता को सक्रिय मोटर बीमा दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।
  • आरटीओ से प्राप्त अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जहां वाहन मूल रूप से पंजीकृत था।
  • फॉर्म 28
  • कोई अपराध रिकॉर्ड प्रमाण पत्र नहीं
  • रोड टैक्स की रसीद

Edited By: Sarveshwar Pathak

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मोटर व्हीकल परमिट के लिए आवेदन करने से पहले जानें इसके प्रकार और उनसे जुड़ी बातें - NewsBytes Hindi

अंतिम अपडेट Jan 15, 2022, 09:30 pm

मोटर व्हीकल परमिट के लिए आवेदन करने से पहले जानें इसके प्रकार और उनसे जुड़ी बातें
भारत में मिलने वाले व्हीकल परमिट

अपने वाहन से एक राज्य से दूसरे राज्य तक यात्रा करने के लिए एक परमिट की आवश्यकता होती है, जिसे व्हीकल परमिट कहा जाता है। भारत में राष्ट्रीय परमिट और स्थानीय परमिट जैसे दो प्रकार के व्हीकल परमिट होते हैं। इसके अलावा कमर्शियल वाहनों और पैसेंजर वाहनों के लिए भी अलग से परमिट दी जाती है। इसलिए आज हम आपको भारत में विभिन्न तरह के मिलने वाले व्हीकल परमिटों के बारे में बताने जा रहे हैं।

परिचय

क्या होती है व्हीकल परमिट?

क्या होती है व्हीकल परमिट?
केंद्रीय मोटर वाहन नियम अधिनियम के तहत दिए जाते हैं परमिट

एक व्हीकल परमिट एक प्रमाण पत्र है जो केंद्रीय मोटर वाहन नियम अधिनियम, 1989 के तहत दी जाती है। यह परमिट आपके वाहन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की अनुमति देता है। इसके अलावा यह यात्रियों और सामानों को कमर्शियल उद्देश्यों से ले जाने के लिए भी दिए जाते हैं। इनमे लगने वाला चार्ज वाहनों के प्रकार और विभिन्न राज्यों के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है।

मालवाहक परमिट

सामानों के आधार पर मिलने वाला पहला परमिट मालवाहक परमिट है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 79 के तहत माल वाहन के मालिक द्वारा मालवाहक परमिट प्राप्त किया जा सकता है। यह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के साथ-साथ राज्य के भीतर परिचालन के लिए भी दिया जाता है। राज्यों के अंदर यह परमिट केवल एक निश्चित क्षेत्र में वाहन को चलाने की अनुमति देता है।

माल वाहक परमिट के काउंटर हस्ताक्षर

माल वाहक परमिट के काउंटर हस्ताक्षर
माल वाहकों के लिए भी दिए जाते हैं परमिट

मालवाहक परमिट के काउंटर हस्ताक्षर एक राज्य में जारी किए जाते हैं और दूसरे राज्य में मान्य होते हैं। इसके लिए इस परमिट को दूसरे राज्य के राज्य क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण से अप्रूव्ड करवाया जाता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 88 के तहत दिल्ली में 5 जनवरी 2006 से ये परमिट उन माल वाहनों को नहीं दिए जाएंगे जो दूसरे राज्य में रजिस्टर हैं और जिनका वजन 7,500 किलोग्राम तक है।

कान्ट्रैक्ट कैरिज बस परमिट

चार्टर्ड बसें के लिए कान्ट्रैक्ट कैरिज बस परमिट दिए जाते हैं। इसके तहत परमिट धारक और वाहन के संचालक के बीच एक कान्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए जाते हैं जो एक निश्चित मार्ग पर बस को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की अनुमति देता है। बस के चालक के पास चार्टर्ड बस में यात्रा करने वाले यात्रियों की सूची होनी चाहिए। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 74 के तहत परमिट जारी किए जाते हैं।

राष्ट्रीय परमिट

राष्ट्रीय परमिट
चार राज्यों के लिए जारी होता राष्ट्रीय परमिट

एक माल वाहन को राष्ट्रीय परमिट जारी किया जाता है जिसे होम स्टेट से बाहर जाने की जरूरत होती है। केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 86 और 87 के अनुसार होम स्टेट को ध्यान में रखते हुए कम से कम चार राज्यों के लिए एक राष्ट्रीय परमिट जारी किया जाता है। राष्ट्रीय परमिट लेने के लिए माल वाहन 12 साल ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए और मल्टी एक्सल वाहन 15 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

जानकारी

ये हैं अन्य तरह के परमिट

इन परमिट्स के अलावा भारत में ऑटो रिक्सा या टैक्सी परमिट, इको फ्रेंडली सेवा, अस्थायी परमिट, रेंट कैब परमिट, स्कूल बस परमिट, टूरिस्ट परमिट, स्टेज कैरियर परमिट, फट-फट सेवा जैसे और भी कई परमिट के लिए आवेदन किए जाते हैं।

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अक्टूबर से आठ यात्रियों वाले वाहन में कम से कम छह एयरबैग अनिवार्य होंगे - Navbharat Times

8 सीटर कार में 6 Airbags होंगे जरुरी, इस महीने से लागू हो जायेगा नियम, बढ़ जायेगी कारों की कीमतें - Asianet News Hindi

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Bhopal, First Published Jan 15, 2022, 4:27 PM IST

ऑटो एंड बिजनेस डेस्क । सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि वह इस साल अक्टूबर से कार निर्माताओं के लिए मोटर वाहनों में कम से कम 8 सीटर वाहन में 6 एयरबैग देना अनिवार्य होगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक बयान में कहा कि दुर्घटनाओं के खिलाफ यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, केंद्रीय मोटर वाहन नियम1989 (Central Motor Vehicles Rules (CMVR), 1989 में संशोधन करके एयरबैग जैसी सुविधाओं को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। 

14 जनवरी, 2022 को एक notification जारी करके कहा गया है कि 1 अक्टूबर, 2022 के बाद निर्मित M1,कैटेगिरी के वाहनों को दो साइड/साइड टोरसो एयर बैग्स (torso air bags) देना कंपलसरी किया जायेगा। एक-एक उन व्यक्तियों के लिए जो आउटबोर्ड सीटिंग पोजीशन (outboard seating positions) पर बैठे हैं। वहीं दो साइड कर्टेन / ट्यूब एयर बैग, आउटबोर्ड बैठने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए   रखने होंगे। 

8 पैसेंजर्स की गाड़‍ियों के लिए 6 एयरबैग अनिवार्य
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर जानकारी देते हुए कहा कि मैंने 8 यात्रियों को ले जाने वाले मोटर वाहनों में कम से कम 6 एयरबैग अनिवार्य करने के लिए एक ड्राफ्ट जीएसआर नोटिफिकेशन को मंजूरी दे दी है। मंत्रालय ने पहले ही 01 जुलाई 2019 से ड्राइवर एयरबैग और फ्रंट को-पैसेंजर एयरबैग को 01 जनवरी 2022 से फिट करना अनिवार्य कर दिया था।

ज्‍यादा सुरक्षि‍त रहेंगे पैसेंजर्स
आगे और पीछे दोनों कम्पार्टमेंट में बैठे लोगों के लिए फ्रंटल और लेटरल टक्करों के प्रभाव को कम करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि M1 वाहन श्रेणी में 4 अतिरिक्त एयरबैग अनिवार्य किए जाएं, यानी दो साइड/साइड टोरसो एयरबैग और दो साइड कर्टेन/ट्यूब एयरबैग सभी आउटबोर्ड यात्रियों को कवर करना। भारत में मोटर वाहनों को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अंततः सभी खंडों में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, चाहे वाहन की लागत/वेरिएंट कुछ भी हो।

सभी कारों में होगी व्‍यवस्‍था
केंद्रीय मंत्री ने साफ कर दिया है कि एयरबैग की व्‍यवस्‍था सभी ब्रांड की कारों में मौजूद होंगे। कोई भी कंपनी कार की कीमत, वेरिएंट या सेगमेंट के आधार पर इसमें कटौती नहीं कर सकती है। इसका मतलब है कि फॉर्च्यूनर गाड़ी में 6 एयरबैग होंगे तो वहीं फैमिली कार कही जाने वाली मारूति की 8 सीटर कारों में भी इतने ही एयरबैग लगाने होंगे। इससे दुर्घटना होने पर लोगों को बड़ी चोट नहीं लगेगी और उनकी जान का खतरा कम होगा।

अभी ऑप्सनल है एयर बैग्‍स
मौजूदा समय में महंगी गाड़ियों में ही एयरबैग्स की व्‍यवस्‍था है। नॉर्मल और सस्‍ती कारों में इस तरह की व्‍यवस्‍था नहीं होती है। कंपनियों का तर्क है कि बजट कारों में एयरबैग लगाने से  कारों की कीमत में इजाफा हो सकता है। जिससे उनकी बिक्री पर असर पड़ सकता है। वहीं लग्जरी गाड़ियों में कीमत बढ़ने पर खास असर नहीं पड़ता और लोग खुलकर पैसा चुकाते हैं।

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Last Updated Jan 15, 2022, 4:25 PM IST

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Six Airbags Compulsory: आठ यात्रियों तक के वाहनों के लिए छह एयरबैग अनिवार्य हैं, नितिन गडकरी का एलान - अमर उजाला - Amar Ujala

सार

8 यात्रियों तक को ले जाने वाले मोटर वाहनों में, सवार लोगों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए, जीएसआर अधिसूचना के मसौदे में कम से कम 6 एयरबैग होना अनिवार्य कर दिया गया है।

कारों में छह एयर बैग अनिवार्य - फोटो : PTI

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विस्तार

भारतीय बाजार में बिकने वाले वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर अकसर चिंताएं जाहिर की जाती रही हैं। इन चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने आठ लोगों को ले जाने वाले मोटर वाहनों के लिए न्यूनतम छह एयरबैग अनिवार्य करने के लिए जीएसआर अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दे दी है। 
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गडकरी ने कहा, "यह आखिरकार सभी सेगमेंट में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, भले ही वाहन की कीमत/वैरिएंट कुछ भी हो।"

मंत्रालय ने पहले ही 1 जुलाई 2019 से ड्राइवर एयरबैग और इस साल 1 जनवरी से फ्रंट को-पैसेंजर एयरबैग के फिटमेंट को लागू करना अनिवार्य कर दिया है।

एम1 वाहन श्रेणी में, यह फैसला लिया गया है कि आगे और पीछे दोनों कंपार्टमेंट में बैठे लोगों के सामने और पीछे से होने वाले टक्करों के असर को कम करने के लिए चार अतिरिक्त एयरबैग अनिवार्य हैं।

इसमें दो साइड/साइड टोरसो एयरबैग और दो साइड कर्टेन/ट्यूब एयरबैग शामिल होंगे जो कार के सभी यात्रियों को कवर करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में मोटर वाहनों को पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

सड़क दुर्घटनाओं में मौत
भारत उन शीर्ष देशों में से एक है जहां हर साल चिंताजनक रूप से बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाएं दर्ज होती हैं। इन सड़क हादसों में बड़ी संख्या में मौतें और गंभीर चोटें आती हैं। जबकि यातायात उल्लंघन को दुर्घटनाओं के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन अपर्याप्त सुरक्षा उपाय, विशेष रूप से छोटे एंट्री लेवल के वाहनों में भी बड़ी संख्या में मौतें का कारण होती हैं।

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Friday, January 14, 2022

ऑटो इंश्‍योरेंस होगा अब और 20% तक महंगा! करोड़ों वाहन मालिकों की जेब होगी ढीली - NavaBharat

insurance
File Photo

नई दिल्‍ली. जहाँ एक तरफ पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों (Petrol Diesel Price) के चलते आम जनता पहले से ही मार झेल रही है वहीं अब देश के करोड़ों वाहन मालिकों को महंगाई की एक और डोज़ मिल सकती है। जी हाँ ख़बरों की मानें तो बीमा कंपनियों ने इस साल इंश्‍योरेंस प्रीमियम बढ़ाने (insurance premium hike) की पूरी तैयारी भी कर ली है। सूत्रों की मानें तो बीमा कंपनियों का इरादा थर्ड पार्टी मोटर इंश्‍योरेंस (Third party motor insurance) को 15 से 20 % तक बढ़ाने का है।

दरअसल बीमा विनियामक व विकास प्राधिकरण (Insurance and Regulatory Development Authority of India) को बीमा कंपनियों की ओर से भेजे गए प्रोपजल में कोरोना के चलते कंपनियों को हो रहे नुक़सान को देखते हुये थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस (third party insurance) में 15 से 20% बढ़ोतरी करने की मंजूरी देने की मांग की गई है। ऐसे में अगर कंपनियों की मांग मंजूर हुई तो इसका सीधा असर देश के करोड़ों वाहन मालिकों पर पड़ेगा।

IRDAI को मिला  प्रपोजल

वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में करीब 25 जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियां हैं। इन सभी को उम्‍मीद है कि उनके प्रपोजल को IRDA जरुर से हरी झंडा दे देगा। साथ ही कंपनियों का मानना है कि कोरोना के चलते उनको बहुत नुकसान हो रहा है। इसी को देखते हुए अब थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस का मौजूदा प्रीमियम ठीक नहीं है और उन्‍हें इससे लगातार घाटा हो रहा है। 

इनमे से कुछ कंपनियां की स्थिति ऐसी है कि उनकी करदान क्षमता (solvency) उनकी प्रिस्‍क्राइब्‍ड लिमिट से भी नीचे चली गई है। थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस क्‍लेम में भी बढ़ोतरी हुई है। इससे भी अब कंपनियों पर दबाव बढ़ा है।

थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस बहुत जरुरी 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 2018 के एक निर्णय के बाद नये दोपहिया वाहनों को खरीदते वक्‍त ही 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस और चारपहिया वाहनों के लिये 3 साल का थर्ड पार्टी बीमा लेना अब अनिवार्य है। वहीं मोटर व्हीकल एक्‍ट (Motor Vehicle Act) के अनुसार जो भी वाहन सड़क पर चलता है, उसका थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस होना आवश्‍यक है। पाठकों को बता दें कि इंश्‍योरेंस प्रीमियम इरडा (IRDAI।) निर्धारित करता है। साथ ही प्रीमियम में हर साल बदलाव होता रहता है। हालाँकि बीते दो साल से कोरोना के कारण इसमें कोई भी बदलावनहीं हुआ है।

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Thursday, January 13, 2022

ALERT: बीवी-बच्चे को दोपहिया पर बैठाकर निकले, तो कटेगा चालान; जान लें यह नियम - प्रभात खबर - Prabhat Khabar

चेकिंग के दौरान अब अगर आपके पास एम परिवहन ऐप अथवा डिजीलॉकर में ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन के पंजीकरण और बीमा के दस्तावेज हैं, तो पुलिस या परिवहन विभाग मोटर वाहन अधिनियम की धारा-180 के अंतर्गत चालान नहीं कर सकेंगे. पहले कागजात न दिखाने पर पांच हजार रुपये जुर्माना या तीन महीने की जेल का प्रावधान था. मोटर वाहन अधियम की धारा 194-ए ओवर लोडिंग सवारी में आती है. अगर तीसरी सवारी के रूप में चार साल से ज्यादा उम्र का बच्चा है, तो वह भी पूरी सवारी माना जाएगा और ऐसे में पकड़े जाने पर एक हजार रुपये का चालान कटेगा.

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Kurukshetra News: वाहन व सारथी पोर्टल से उठाया जा सकता है 22 फेसलेस सेवाओं का लाभ - अमर उजाला

कुरुक्षेत्र। उपायुक्त शांतनु शर्मा। कुरुक्षेत्र। वाहन और सारथी पोर्टल के माध्यम से आधार आधारित 22 फेसलेस सेवाओं का लाभ आमजन को दिया जा ...