कानून अधिकारी और केंद्र सरकार के वकील अपने वाहनों में न्यायालय का नाम प्रदर्शित नहीं कर सकते: केरल... - Live Law Hindi
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स्टोरी हाइलाइट्स
झारखंड में अब एसडीओ स्तर के अधिकारी मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों की जांच और टैक्स वसूली नहीं कर पाएंगे. राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने यह आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि एसडीओ को दिए गए यह अधिकार वापस ले लिए गए हैं. विभागीय मंत्री चम्पई सोरेन के अनुमोदन के बाद इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है.
विभाग की अधिसूचना 18.07.2018 और गजट संख्या 685, दिनांक 19.07.2018 के माध्यम से कुल 45 एसडीओ को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 200 के तहत वाहन जांच और राजस्व वसूली की शक्ति प्रदान की गई थीं.
इस आदेश को लेकर यह बताया गया है कि एसडीओ का नियंत्रण, कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा किया जाता है, जिसके कारण परिवहन विभाग की ओर से एसडीओ स्तर के पदाधिकारियों पर नियंत्रण नहीं रह पाता, साथ ही एसडीओ स्तर के अफसरों के पास अधिक कार्य रहने के कारण वाहन चेकिंग और राजस्व संग्रहण के कार्य में उनके द्वारा रूचि नहीं लेने की संभावना बनी रहती है.
परिवहन विभाग द्वारा की गई समीक्षा में यह पाया गया कि एसडीओ की ओर से निष्पादित कर्तव्यों और राजस्व संग्रह का अनुपात संतोषप्रद नहीं है. इसी को देखते हुए 45 अनुमंडल पदाधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 200 के तहत प्रदान की गई शक्तियों को तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है. एसडीओ के पास से इस अधिकार को वापस लिए जाने के बाद से वाहन चेकिंग अभियान पर भी असर पड़ सकता है.
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अगर आप एक लाख रुपये के अंदर में 109 सीसी का जूपिटर दो पहिया वाहन खरीदते हैं, तो अब आपको रजिस्ट्रेशन चार्ज 6,018 रुपये चुकाने पड़ेंगे. जबकि पहले रजिस्ट्रेशन चार्ज 4,273 रुपये लगता था. यानी 1,745 रुपये अधिक देने होंगे. एक लाख से अधिक कीमतवाले दोपहिया पर अलग टैक्स लगेगा. अगर आप 160 सीसी की अपाची लेते हैं, तो रजिस्ट्रेशन चार्ज में 10,399 रुपये देने होंगे. जबकि पहले रजिस्ट्रेशन चार्ज 5,769 रुपये देने पड़ते थे.
मुख्य बातें ::::::::::::
45 एसडीओ को परिवहन विभाग ने दी थी शक्ति
राजस्व संग्रहण में किया जा रहा था दिक्कतों का सामना
रांची। मुख्य संवाददाता
राज्य के एसडीओ स्तर के अधिकारी अब मोटरवाहन अधिनियम के तहत वाहनों की जांच और टैक्स वसूली नहीं कर पाएंगे। राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने एसडीओ को दिए गए अधिकार वापस ले लिये हैं। विभागीय मंत्री चम्पई सोरेन के अनुमोदन के बाद इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। विभागीय अधिसूचना 18.07.2018 और गजट सं.-685, दिनांक 19.07.2018 के माध्यम से कुल 45 अनुमंडल पदाधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 200 के तहत जांच और राजस्व वसूली की शक्ति प्रदान की गई थी।
क्या है वजह
परिवहन विभाग के आदेश के मुताबिक, एसडीओ का नियंत्री विभाग कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग है। इसके कारण परिवहन विभाग द्वारा एसडीओ स्तर के पदाधिकारियों पर नियंत्रण नहीं रह पाता है। साथ ही, एसडीओ स्तर के अफसरों के पास कार्य की अधिकता रहने के कारण उनके द्वारा वाहन चेकिंग तथा राजस्व संग्रहण के कार्य में रुचि नहीं लेने की संभावना बनी रहती है। परिवहन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजस्व संग्रहण की समीक्षा की। समीक्षा में पाया गया कि एसडीओ द्वारा निष्पादित कर्तव्यों एवं राजस्व संग्रहण का अनुपात संतोषप्रद नहीं है। इसके बाद 45 अनुमंडल पदाधिकारियों को मोटरवाहन अधिनियम, 1988 की धारा-200 के तहत प्रदान की गई शक्ति को तत्काल प्रभाव से विलोपित कर दिया गया।
Ranchi: झारखंड सरकार ने मोटर वाहन चेकिंग और राजस्व वसूली के काम से अनुमंडल पदाधिकारियों को हटा दिया है. इनके कार्यो की समीक्षा के बाद परिहवन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है. परिहवन मंत्री चंपई सोरेन की सहमति के बाद 45 अनुमंडल पदाधिकारियों को दी गयी शमन की शक्ति को लेकर जुलाई 2018 के आदेश को विलोपित कर दिया गया.
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दरअसल, राज्य सरकार ने 19 जुलाई 2018 को गजट प्रकाशित कर राज्य में अपनी एजेंसियों के अतिरिक्त 45 अनुमंडल पदाधिकारियों को मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा-200 के तहत शमन की शक्ति दी थी, लेकिन यह पाया गया कि काम की अधिकता की वजह से अधिकांश एसडीओ वाहन चेकिंग तथा राजस्व संग्रहण के काम में रूचि नहीं ले रहे हैं. ऐसे में विभाग ने 45 अनुमंडल पदाधिकारियों के कार्यो की समीक्षा करायी. यह पाया गया कि विगत तीन साल में इनके द्वारा न के बराबर वाहन चेकिंग का काम हुआ और राजस्व वसूली भी ठीक से नहीं हो पायी. विभाग ने इनके निष्पादित कार्यो व उपलब्धिायों की समीक्षा के बाद इनके काम को संतोषप्रद नहीं माना. विभाग ने पूरी मामले को विभागीय मंत्री चंपई सोरेन के पास रखा था.
राज्य प्रशासनिक सेवा से अनुमंडल पदाधिकारियों की पोस्टिंग कार्मिक विभाग करता है. इन पर कार्मिक विभाग का ही नियंत्रण रहता है. ऐसे में परिवहन विभाग राजस्व वसूली करने के काम में कोताही आदि बरतने पर सीधी कार्रवाई भी नहीं कर पा रहा था. यह भी एक वजह रही कि एसडीओ से शमन की शक्ति वापस ली गयी.
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ये गैजेट्स यूज करने पर होगी कार्रवाई - इस नए आदेश और कानून को लागू करना केरल पुलिस के लिए शुरू में थोड़ा कठिन है. अधिकांश ऑटोमोबाइल में ब्लूटूथ कनेक्टिंग इंफोटेनमेंट सिस्टम होते हैं, और पुलिस के लिए यह पता लगाना बहुत मुश्किल होता है कि कॉल पर कौन बात कर रहा है या नहीं. हालांकि, मोटर वाहन विभाग (MVD) ने भी ड्राइवरों को सलाह दी है कि वे वाहन चलाते समय फोन पर चैट करने के लिए ब्लूटूथ डिवाइस का उपयोग न करें.
कानून में किया गया ये संशोधन - 2019 में, MVD ने ब्लूटूथ डिवाइस पर कनेक्टिविटी को रोक लगाने के लिए मोटर वाहन अधिनियम 2019 के केंद्रीय मोटर वाहन नियम 21 (25) का इस्तेमाल किया था. केरल हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि पुलिस किसी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर सकती जो फोन पर चैट करते समय गाड़ी चला रहा हो. हाई कोर्ट के मुताबिक, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगाता हो.
हालांकि, अधिकारी अब केरल पुलिस अधिनियम की धारा 118 (E) का उपयोग कर किसी पर फोन पर चैट करते समय ड्राइविंग करते समय कार्यवाही कर सकती है. धारा 118 (E) का इस्तेमाल गलत तरीके से गाडी चलाने, जनता को खतरे में डालने और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए किया जा सकता है.
ड्राइविंग करते समय फ़ोन पर ब्लूटूथ या हैंड्स-फ्री डिवाइस का इस्तेमाल करने का मतलब अपना ध्यान ड्राइविंग की जगह कहीं और भंग करना है. ऐसा करने से आपका ध्यान सड़क से हट जाता है, जो दुर्घटना का कारण बन सकता है. ऐसे में टेक्स्टिंग और ड्राइविंग और भी जोखिम भरा हो सकता है.
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