
सरकार ने वाहन कबाड़ (स्क्रैपिंग) सुविधाओं को सुचारू बनाने के लिए केंद्रीय मोटर वाहन (वाहन कबाड़ सुविधा के पंजीकरण और कार्य) नियम, 2021 (Motor Vehicles (Registration and Functions of Vehicle Scrapping Facility) Rules, 2021) में फिर संशोधन किया है।
मंगलवार को जारी संशोधन के अनुसार वाहन कबाड़ सुविधाओं (VSFs) को स्थापित करने की मंजूरी (CTE) और संचालित करने की मंजूरी (CTO) प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेनी होगी। अभी VSF बिना किसी ऐसी मंजूरी के सीधे पंजीकृत होते हैं।
संशोधित दिशानिर्देशों में वाहन कबाड़ सुविधाओं के केवल नारंगी श्रेणी के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित करने की शर्त को हटा दिया गया है। इससे VSF का निर्माण तेजी से बढ़ेगा। औद्योगिक क्षेत्रों को लाल, नारंगी, हरा और सफेद श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।
यह वर्गीकरण उत्सर्जन, बहिस्राव, अपशिष्ट उत्पादन और संसाधनों के उपयोग आदि प्रदूषण सूचकांक स्कोर से हासिल किए जाते हैं। इन श्रेणियों पर विनियमित उपबंध लागू किए जाते हैं। इसमें लाल श्रेणी में सर्वाधिक स्तर का विनियमन होता है और सफेद में सबसे कम विनियमन होता है।
संशोधित नियमों के अनुसार राज्य के स्वामित्व वाले वाहन या कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जब्त वाहन किसी भी प्रोत्साहन को पाने के हकदार नहीं होंगे।
वर्ष 2024 के संशोधन के अनुसार, ‘सरकार के स्वामित्व वाले वाहन के जमा प्रमाणपत्र (सीडी) या प्रवर्तन एजेंसियों के जब्त किए गए वाहन पर कोई प्रोत्साहन उपलब्ध नहीं होगा। ऐसे सीडी इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यापार योग्य नहीं होंगे।’
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में करीब 100 पंजीकृत वाहन कबाड़ सुविधाएं हैं। इस बारे में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने दिसंबर, 2023 में कहा था कि भारत को 1000 वाहन कबाड़ सुविधाओं और 400 ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट सेंटर की जरूरत है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च, 2023 तक 11,025 (7,750 निजी और 3,275 सरकारी वाहनों) को कबाड़ में बदला गया।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के केंद्रीय बजट में इस नीति पर पहली घोषणा की थी। वाहन कबाड़ नीति को शुरुआत में पुराने और असुरक्षित वाहनों से निपटने के लिए पेश किया गया था। इसका ध्येय 15-20 वर्ष पुराने वाहनों को चरणबद्ध ढंग से हटाकर नए वाहनों को पेश करना था। इसके अलावा शहरी प्रदूषण से लड़ना था। इस नीति का ध्येय वाहन क्षेत्र की बिक्री को प्रेरित करना, रोजगार बढ़ाना और उद्योग के लिए कम लागत वाली सामग्री की उपलब्धता को बढ़ावा देना भी था।
उम्मीद यह है कि वाहनों की कबाड़ नीति से वाहनों की बिक्री करीब 8 प्रतिशत और इसका देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 0.5 प्रतिशत हो जाएगा। इस नीति के तहत 8 वर्ष से पुराने वाणिज्यिक वाहनों और 15 वर्ष से पुराने होने पर यात्री वाहनों को फिटनेस और उत्सर्जन मानकों को अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा।
इस क्रम में ब्रेक की गुणवत्ता व इंजन का प्रदर्शन, वाहन को कबाड़ योग्य निर्धारित करने आदि का मूल्यांकन किया जाता है। यह नीति ऑटोमेटिड टेस्टिंग स्टेशनों की चरणबद्ध स्थापना और वाहनों की कबाड़ के उपबंधों का खाका तय करती है।
यह नीति वाहन को कबाड़ में बदलने और नए वाहन की खरीद पर प्रोत्साहन देती है। इस नीति के तहत सीडी मिलने के बाद ख्ररीद करने पर वाहन मालिक गैर यातायात वाहन पर मोटर वाहन टैक्स पर 25 प्रतिशत छूट का योग्य हो जाता है और यातायात वाहनों पर 15 प्रतिशत तक की छूट का हकदार हो जाता है। इसके अलावा नए वाहन पर विनिर्माता से छूट भी मिल जाती है।
First Published - January 28, 2024 | 8:06 PM ISTसंबंधित पोस्ट
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