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Monday, November 21, 2022

Mahindra THAR... शौक... और एक गलती... हो गई 6 महीने की जेल! जानें क्या है पूरा मामला - Aaj Tak

Mahindra Thar Modification: महिंद्रा थार अपने सेग्मेंट की बेस्ट सेलिंग एसयूवी में से एक है. युवाओं के बीच इस एसयूवी का क्रेज काफी ज्यादा देखने को मिलता हैं. यूं तो कंपनी ने इस एसयूवी के लुक और डिज़ाइन को प्योर ऑफरोडिंग स्टांस देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन बावजूद इसके कई लोग अपने वाहन के लुक के साथ मनचाहे प्रयोग करते नज़र आते हैं. ताजा मामले में ऐसा ही एक प्रयोग एक महिंद्रा थार मालिक पर भारी पड़ गया. अपनी एसयूवी में अवैध मॉडिफिकेशन के चलते थार मालिक को कोर्ट ने 6 महीने की जेल की सजा सुनाई है. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर के रहने वाले आदिल फारूक भट को श्रीनगर ट्रैफिक कोर्ट ने उनके महिंद्रा थार एसयूवी में अवैध मॉडिफिकेशन के लिए 6 महीने की जेल की सजा सुनाई है. इस एसयूवी में तेज ध्वनि वाला सायरन भी इस्तेमाल किया गया था. नियम के अनुसार, ये 1988 के मोटर वाहन अधिनियम (एमवी अधिनियम) की धारा 52 का उल्लंघन है. 

Mahindra Thar में किए थे ये मॉडिफिकेशन: 

बताया जा रहा है कि, महिंद्रा थार के मालिक ने अपनी एसयूवी में कई मॉडिफिकेशन किए थें, जिसमें एसयूवी की हार्ड टॉप, बड़े पहिए, चौड़े टायर, एलईडी लाइट्स और सायरन शामिल है. कोर्ट के मुताबिक वाहन का स्ट्रक्चर पूरी तरह से मॉडिफाई किया गया था, जो कि इसे वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में दर्ज विवरण से वाहन को पूरी तरह से अलग करता है. ये कानून का उल्लंघन है. 

हालांकि, वाहन मालिक को अपराधी परिवीक्षा अधिनियम का लाभ दिया गया है, क्योंकि उल्लंघनकर्ता को इससे पहले कभी भी दोषी नहीं ठहराया गया है और उसने कोई अनैतिकता नहीं की थी. लेकिन कोर्ट ने थार मालिक को दो साल की अवधि के लिए शांति और अच्छे व्यवहार के लिए 2 लाख रुपये का बांड भरने का निर्देश दिया है. बांड का पालन करने में विफल रहने पर अभियुक्त को प्रस्तावित सजा प्राप्त होगी.

कोर्ट ने RTO कश्मीर को वाहन से सायरन हटाने और मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों के उल्लंघन में किए गए सभी मॉडिफिकेशन को तत्काल हटाने का आदेश दिया है. इसके अलावा महिंद्रा थार के रजिस्ट्रेशन सटिफिकेट में उल्लेखित विवरण के अनुसार वाहन को मूल स्थिति में लाने का निर्देश दिया है. 

वाहन मॉडिफिकेशन के लिए क्या है कानून: 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जनवरी 2019 को फैसला सुनाया था कि देश में किसी भी मोटर वाहन को इस तरह से संशोधित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है जो कि कार को उसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में दर्ज डेटा से अलग बनाता हो. आसान भाषा में समझें तो, आप किसी भी वाहन कार के 'स्ट्रक्चरल फीचर्स' के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते.

कार के चेसिस या इंजन में किसी भी तरह के बदलाव को भी अवैध करार दिया गया है. इसके अलावा बहुत से ऐसे मॉडिफिकेशन हैं, जिन्हें अवैध करार दिया गया है. किसी भी वाहन में टिंटेड ग्लॉस, फैंसी और तेज ध्वनि वाले प्रेशर हॉर्न, सायरन, तेज ध्वनि वाले एग्जॉस्ट (साइलेंसर), गैर-जरूरी लाइट्स इत्यादि जैसे मॉडिफिकेशन अवैध हैं.

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