आप अपना मोबाइल, टेबलेट या लैपटॉप को खुद या किसी मिस्त्री से ठीक कराते हैं, तो इससे आपकी वारंटी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सरकार कृषि उपकरण,मोबाइल, टैबलेट, उपभोक्ता वस्तुएं और ऑटोमोबाइल उत्पादों की स्थाई खपत विकसित करने के लिए मरम्मत का अधिकार का ढांचा तैयार कर रही है। इसका मकसद उपकरण के निर्मार्ताओ, विक्रेताओं और तीसरे पक्ष के खरीदारों के बीच व्यापार में सामंजस्य बनाकर स्थानीय बाजार में उपभोक्ताओं को सशक्त और ई कचरे में कमी लाना है।
मरम्मत के अधिकार पर व्यापक ढांचा विकसित करने के लिए सरकार ने एक समिति का भी गठन किया है। उपभोक्ता मंत्रालय में अपर सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली इस समिति की 13 जुलाई यानी बुधवार को पहली बैठक हुई। इस बैठक में समिति ने मरम्मत के अधिकार के लिए कई क्षेत्रों की पहचान की है। इनमें खेती उपकरण, मोबाइल फोन, टेबलेट, उपभोक्ता सामान और मोटर वाहन उपकरणों में सुधार करने और उन्हें दुरुस्त करने का अधिकार के तहत चिन्हित किया गया है। समिति का मानना है कि उपभोक्ता कंपनियां उत्पादों की जानकारी देने वाली पुस्तिकाओं का प्रकाशन नहीं करती। जबकि, इन पुस्तिकाओं के जरिए उपभोक्ता आसानी से अपने उपकरण की मरम्मत कर सकता है।
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इसके साथ निर्माताओं का फुटकर पुर्जों पर भी नियंत्रण रहता है। इन पुर्जो का डिजाइन भी निर्माता कंपनियां करती है। मसलन, डिजिटल वारंटी कार्ड में यह लिखा होता है कि अगर उपभोक्ता ने किसी गैर मान्यता प्राप्त मिस्त्री से उपकरण ठीक करवाया तो उपभोक्ता वारंटी का हक खो देगा। इसके साथ यह जरुरत महसूस की गई टेक-कंपनियों को उत्पादों के मैनुअल, पुस्तिकाओं और सॉफ्टवेयर अपडेट की पूरी जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
निदान सम्बंधी यंत्रों सहित उपकरणों और यंत्रों को तीसरे पक्ष तथा लोगों को उपलब्ध कराया जाना चाहिये, ताकि मामूली गड़बड़ियों को ठीक किया जा सके। दरअसल, अमेरिका,यूके और यूरोपीय संघ में उपभोक्ता को मरम्मत का अधिकार है। अमेरिका में निर्माताओं को निर्देश दिया गया है कि वह यह सुनिश्चित करे के लिए उपभोक्ता चाहे तो खुद मरम्मत का काम कर ले या किसी तीसरे पक्ष की एजेंसी से काम कराए। यूके ने बाकायदा एक कानून पारित किया है, जिसमें सभी इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्माताओं को शामिल किया गया है, ताकि उपभोक्ताओं को पुर्जे मिल सकें और वह या तो स्वयं अथवा मरम्मत करने की स्थानीय दुकानों से मरम्मत का काम करवा सकें। ऑस्ट्रेलिया में रिपेयर कैफे की एक विशेष प्रणाली है। इन कैफे में स्वयंसेवी मिस्त्री एकत्र होते हैं और अपनी मरम्मत का कौशल दिखाते हैं।
76 फीसदी लोग कंपनी से मरम्मत नहीं करवाते
लोकल सर्कल के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि एयर कंडीशन उपयोग करने वाले 76% उपभोक्ता अधिक कीमत, जटिल संपर्क प्रक्रिया और इसमें लगने वाले समय के कारण इसके निर्माता/कंपनी से मरम्मत नहीं करवाते हैं। इस दौरान 42,000 से अधिक लोगों से प्रतिक्रियाएं ली गईं। सर्वे के मुताबिक 65% लोग उच्च लागत के कारण निर्माता/कंपनी से एयर कंडीशनर की सर्विस नहीं कराते हैं। वहीं 36% लोग जटिल संपर्क प्रक्रिया की वजह से दूरी बनाते हैं। जबकि 32% लोग ज्यादा समय लगने की वजह से बाहर से मरम्मत कराते हैं।
खेती उपकरण, मोबाइल, टेबलेट, उपभोक्ता सामान और मोटर वाहन खुद मरम्मत करवाने पर वारंटी खत्म नहीं होगी - MSN
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