
सार
कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से ट्रक लंबे समय तक खड़े रहे। इससे उनमें खराबी आ गई। उन्हें बनवाने से अच्छा सरेंडर करना ही उचित लगा। इसी महीने वाहन सरेंडर करने वाले कुछ मोटर मालिक तो डीजल के बढ़े दामों की वजह से भी पीछे हट गए।ख़बर सुनें
विस्तार
कोरोना काल के दौरान मची तबाही का असर मोटर मालिकों पर भी पड़ा। पिछले छह महीने में 800 कामर्शियल वाहनों के पंजीयन निरस्त कराए गए हैं। मतलब इन लोगों ने वाहन चलवा पाने से हाथ खड़े कर दिए। ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतने कम समय में इतने ज्यादा कामर्शियल वाहनों के पंजीयन निरस्त कराए गए हों।मोटर मालिकों का कहना है कि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से ट्रक लंबे समय तक खड़े रहे। इससे उनमें खराबी आ गई। उन्हें बनवाने से अच्छा सरेंडर करना ही उचित लगा। इसी महीने वाहन सरेंडर करने वाले कुछ मोटर मालिक तो डीजल के बढ़े दामों की वजह से भी पीछे हट गए।
सामान्य तौर पर किसी भी कामर्शियल वाहन को उनकी पहली पंजीकरण अवधि 15 साल बीत जाने के बाद ही मोटर मालिक पंजीकरण निरस्त कराते थे। क्योंकि 15 साल पुराने कामर्शियल वाहनों का दोबारा पंजीकरण कराना नुकसान का सौदा होता है। इसमें खर्च बहुत आता था।
लेकिन पिछले छह महीने में जिन वाहनों का पंजीकरण निरस्त हुआ है, उनमें 50 प्रतिशत वाहन आठ से 10 साल पुराने थे। कोरोना काल में गाड़ियों के न चलने और बाद में कम चलने से कलपुर्जे खराब हो गए और डीजल महंगा हो जाने से भी मोटर मालिकों का नुकसान हो रहा था।
एक अप्रैल से अब तक करीब आठ सौ कामर्शियल वाहनों का पंजीकरण निरस्त कराया गया है। छह महीने में इतनी बड़ी संख्या में पहली बार इतने पंजीकरण निरस्त हुए हैं। मोटर मालिकों ने उन वाहनों की चेसिस प्लेट भी जमा करा दी है।
कोरोना काल ने किया कबाड़: छह महीने में 800 कामर्शियल वाहनों के पंजीकरण निरस्त कराए - अमर उजाला
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