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Sunday, April 18, 2021

जानिए अपने वाहन के एक्‍सीडेंट या चोरी होने पर कैसे क्‍लेम करें मोटर इंश्‍योरेंस, ये रहा पूरा प्रोसेस - TV9 Hindi

नये वाहन खरीदने के साथ ही मोटर इंश्‍योरेंस कराना भी जरूरी होता है. इससे वाहन को किसी एक्‍सीडेंट में होने वाल डैमेज, चोरी या थर्ड पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए वाहन मालिक को अपनी जेब खर्च नहीं करना पड़ता है.

जानिए अपने वाहन के एक्‍सीडेंट या चोरी होने पर कैसे क्‍लेम करें मोटर इंश्‍योरेंस, ये रहा पूरा प्रोसेस

सांकेतिक तस्‍वीर

मोटर वाहन खरीदते समय ही अपने वाहन का इंश्‍योरेंस कराना अनिवार्य है. कम से कम किसी थर्ड पार्टी लायबिलिटी के तौर पर तो मोटर वाहन इंश्‍योरेंस करा ही लेना चाहिए. लेकिन, मोटर वाहन इंश्‍योरेंस कराने के साथ ही इसके क्‍लेम प्रोसेस के बारे में जानना भी उतना ही जरूरी है. किसी डैमेज, एक्‍सीडेंट या चोरी होने की स्थिति में मोटर वाहन इंश्‍योरेंस क्‍लेम करने का प्रोसेस क्‍या है, इसके बारे में हम आपको आज पूरी जानकारी दे रहे हैं. सब्‍सक्राइबर्स को इसके लिए NPS पोर्टल पर लॉगिन करना होता है. इसके लिए सब्‍सक्राइबर को PRAN नंबर ही लॉगिन आईडी के तौर पर इस्‍तेमाल करना होगा.

क्‍लेम रजिस्‍ट्रेशन कैसे करें

मोटर वाहन इंश्‍योरेंस के तहत क्‍लेम करने के लिए सब्‍सक्राबर को एक क्‍लेम फॉर्म सबमिट करना होता है. इसे आप ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्‍यम से कर सकते हैं. इसमें पॉलिसीहोल्‍डर्स की डिटेल्‍स, वाहन और ड्राइवर की जानकारी, क्‍लेम करने का कारण, पुलिस स्‍टेशन डिटेल्‍स और थर्ड पार्टी या वाहन को होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देनी होती है. साथ ही पॉलिसी होल्‍डर्स के बैंक डिटेल्‍स की भी जानकारी होती है.

किन डॉक्‍यमेंट्स की जरूरत होगी

इंश्‍योरेंस क्‍लेम करने के लिए आपको सबसे पहले तो पॉलिसी डॉक्‍युमेंट ही दिखानी होगी. इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस, आरसी बुक, एफआईआर की कॉपी, रिपयेर बिल और केवाईसी डॉक्‍युमेंट्स की भी जरूरत पड़ेगी. वारंटी कार्ड भी सबमिट करना होगा. किसी दुर्घटना के बाद वाहन को हुए नुकसान को रिपेयर कराना होता है. गैरेज से रिपेयर पर होने वाले खर्च के सभी बिल को इंश्‍योरेंस कंपनी को देना होता है.

क्‍लेम फॉर्म भरने और जरूरी डॉक्‍युमेंट्स देने के बाद इंश्‍योरेंस कंपनी का सर्वेयर आपके वाहन को हुए नुकसान का सर्वे करने आएगा. वाहन को हुए नुकसान और इसके रिपेयर खर्च देखने के बाद एक वर्किंग दिन के अंदर वो मंजूरी देगा. इसके अलावा और कोई अतिरिक्‍त खर्च का बोझ पॉलिसी होल्‍डर को खुद ही उठाना होगा.

बैंक की ओर लोन अमाउंट को देखते हुए थर्ड पार्टी गारंटी या कोलेटरल की मांग की जा सकती है. कोलेटरल तो बैंक को इंश्‍योरेंस कंपनी की ओर से भी पॉलिसी के तौर पर हो सकता है.

इन बातों का भी रखें ध्‍यान

जब एक बार आप इंश्‍योरेंस क्‍लेम कर लेते हैं, तब पॉलिसी रिन्‍यू कराते समय बोनस एप्‍लीकेशन का दावा नहीं कर सकते हैं. अगर वाहन के लिए कोई लोन चल रहा है तो इंश्‍योरेंस कंपनी फाइनेंस कंपनी/बैंक को ही क्‍लेम का पैसा देगी.

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