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Friday, March 26, 2021

Jharkhand Assembly Session 2020: झारखंड के वर्तमान विधानसभा सत्र में लिए गए कई अहम फैसले - दैनिक जागरण

रांची, प्रदीप शुक्ला। भारी हो-हल्ले के बावजूद विधानसभा का वर्तमान बजट सत्र कई मायनों में अहम रहा। विपक्ष के कड़े तेवरों के बीच सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक पास करवाने में सफल रही। इस दौरान खूब राजनीति हुई। सत्ता पक्ष की कई बार तब काफी किरकिरी हुई जब उन्हीं के विधायकों ने कानून-व्यवस्था से लेकर अवैध खनन पर सवाल उठाए। सत्र के आखिरी दिन सत्ता पक्ष को जरूर निराशा हाथ लगी जब वह अपने सबसे महत्वपूर्ण (निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसद आरक्षण) विधेयक को पास करवाने में असफल रही। इस विधेयक के कई प्रविधानों को लेकर विपक्ष ही नहीं खुद झामुमो-कांग्रेस के विधायकों में भी शंकाएं हैं। यह बेहतर ही हुआ कि इस बिल को प्रवर समिति को भेज दिया गया। राज्य में उद्योग-धंधों में निवेश बढ़े, इसके लिए जरूरी है कि सभी आशंकाओं को दूर कर ही इस विधेयक को विधानसभा से पास करवाया जाए। यदि थोड़े भी किंतु-परंतु रहते हैं तो यह तय है कि राज्य में उद्यमियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के सरकार के प्रयासों को तगड़ा झटका लग सकता है।

यदि वर्तमान सत्र पर समग्रता से नजर डालें तो कह सकते हैं इस दौरान नीतियां भी बनीं और राजनीति भी हुई। तीन वर्ष बाद पूर्ण अवधि तक चले इस सत्र में लोकतंत्र के सभी रंग देखने को मिले। शुरुआती टकराव के बाद पक्ष-विपक्ष में सार्थक बहस हुई। सबके राजनीतिक हित भी सधे। जाहिर है, लगभग एक महीने तक चले बजट सत्र की सफलता का श्रेय सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को दिया जाना चाहिए। सत्र के आखिरी दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विपक्षी भाजपा के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी निशाना साधने से नहीं चूके। उन्होंने यहां तक कह दिया कि उन्हें खुद भय होता रहता है कि केंद्र सरकार उनके साथ कैसा व्यवहार करेगी? उन्होंने पांच राज्यों में आसन्न चुनाव के बहाने प्रधानमंत्री पर भी जमकर हमला बोला। मुख्यमंत्री बोले, हर जगह कहा जा रहा है कि डबल इंजन की सरकार होगी तो विकास होगा। झारखंड में क्या हुआ? यहां तो सबकुछ बिगड़ा मिला था। जैसे श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सभी एक-एक ईंट जोड़ रहे हैं, वैसे ही वह भी राज्य को एक-एक ईंट जोड़कर दोबारा बना रहे हैं। राज्य कर्मचारियों के 35 फीसद पद खाली हैं। जैसे-तैसे संविदा पर कíमयों को रखकर काम चलाया जा रहा है। समझा जा सकता है कि डबल इंजन सरकार से राज्य को क्या फायदा हुआ होगा?

अंतिम दो कार्य दिवसों में आठ विधेयक पेश किए गए। इनमें से सात को सदन ने मंजूरी प्रदान की, जबकि एक (झारखंड राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2021) प्रवर समिति के सुपुर्द किया गया। इस विधेयक के तहत निजी कंपनियों में 75 प्रतिशत तक रोजगार स्थानीय युवाओं को देने का प्रविधान किया गया है। इसकी अवहेलना पर दंड का भी प्रविधान है। विपक्ष का आरोप था कि इस विधेयक से निजी क्षेत्र में निवेश करने वाले कहीं न कहीं बंधे हुए महसूस करेंगे। इससे राज्य में निवेश में कमी भी आ सकती है। सरकार ने इन संभावनाओं को खारिज किया, लेकिन उनके अपने ही विधायकों ने भी कई प्रकार के संशोधन की मांग कर दी। इससे सत्ता पक्ष की स्थिति असहज हो गई।

बाद में मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता और विपक्ष ने करीब 23 बिंदुओं पर संशोधन की मांग की है, इसलिए इस बिल को प्रवर समिति को भेजा जा रहा है, ताकि कोई भी कमी न रह जाए। जो महत्वपूर्ण विधेयक पास हुए उनमें मोटर वाहन करारोपण संशोधन विधेयक, झारखंड विद्युत शुल्क (संशोधन) विधेयक-2021, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन) संशोधन विधेयक, 2021 शामिल हैं। मोटर वाहन करारोपण संशोधन विधेयक पास होने से अब यहां निजी दोपहिया और चार पहिया वाहनों के एक्स शोरूम कीमत पर सात से नौ फीसद तक टैक्स देना होगा। यह व्यवस्था पूरे देश में लागू है, लेकिन झारखंड में जीएसटी की राशि घटाकर उस पर टैक्स लिया जाता था। बिजली से संबंधित बिल पास होने से बिजली उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ने जा रहा है। अभी तक सौ रुपये तक के बिल पर सरकार दो फीसद अतिरिक्त नेट शुल्क वसूलती थी। इस शुल्क को बढ़ाकर अब छह फीसद कर दिया गया है। अन्य श्रेणियों में भी इसमें अच्छी-खासी बढ़ोतरी की गई है। 

[स्थानीय संपादक, झारखंड]

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