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Wednesday, October 25, 2023

Delhi Motor Vehicle Policy: दिल्ली की नई नीति से बाइक टैक्सी ऑपरेटर खौफजदा, दोगुनी लागत का डर - Business Standard Hindi

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण और यात्रियों की सुरक्षा के लिए बीते सप्ताह दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर ऐंड डिलिवरी सर्विस प्रोवाइडर योजना 2023 को मंजूरी दी। यह योजना लागू होने के दिन से सभी बाइक टैक्सी इलेक्ट्रिक होनी चाहिए और सभी सेवा प्रदाताओं को बदलाव करने के लिए 4 वर्ष का समय दिया गया है।

इस नीति का मुख्य मकसद प्रदूषण को कम करना और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है लेकिन इसे लेकर कुछ आशंकाएं हैं। बाइक टैक्सी ड्राइवरों के अनुसार यह नीति कम आय समूह के लोगों के लिए दंड होगी। बाइक टैक्सी ड्राइवर से डिलिवरी पार्टनर बनने वाले विनोद कुमार ने कहा, ‘हम इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन नहीं खरीद सकते हैं क्योंकि इसकी लागत हमारे वाहन की तुलना में दोगुनी है। यदि वाहन पर वाणिज्यिक नंबर प्लेट है तो हमें वाणिज्यिक पंजीकरण शुल्क भी अदा करना पड़ता है।’

लिहाजा 1500 से अधिक बाइक टैक्सी ड्राइवरों ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखा। इन ड्राइवरों ने 17 अक्टूबर को लिखे पत्र में उपराज्यपाल से मांग की कि उन्हें भी डिलिवरी सर्विस पार्टनर की तरह समय मुहैया करवाया जाए।

इस साल की शुरुआत में फरवरी में दिल्ली परिवहन विभाग ने अधिसूचना जारी कर बाइक टैक्सी की सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया था। अभी दिल्ली में लोकप्रिय एग्रीगेटर जैसे ओला, उबर और रैपिडो बाइक टैक्सी की सेवा मुहैया करवा रहे हैं। इस नीति में चार पहिया वाहन और डिलिवरी सेवा प्रदाताओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। लिहाजा पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का विश्वास है कि यह नीति अपने वांछित लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी। साथ ही निष्पक्षता भी सुनिश्चित नहीं कर पाएगी।

उनके अनुसार एक समूह के लिए पेट्रोल या डीजल चालित वाहनों पर केवल प्रतिबंध लगाने से समस्या का हल नहीं होगा। शहर में निजी वाहनों, वाणिज्यिक वाहनों, चार पहिया वाहनों और उद्योगों से खासा प्रदूषण होता है।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऐंड क्लीयर एयर (सीआरईए) के विशेषज्ञ सुनील दहिया ने कहा, ‘सरकार को इन स्रोतों से प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए समुचित नीति बनानी चाहिए। पे़ट्रोल व डीजल चालित वाहनों पर निर्भरता कम करने के लिए समुचित और मजबूत सार्वजनिक यातायात व्यवस्था और गैर मोटर यातायात ढांचा विकसित किया जाना चाहिए।’

यह नीति इस पर आधारित है कि ‘प्रदूषण करने वाले’ कीमत अदा करें। इसके लिए ईवी की तुलना में पारंपरिक वाहनों का लाइसेंस शुल्क अत्यधिक बढ़ा दिया गया है। जैसे इलेक्ट्रिक टैक्सी के लिए लाइसेंस शुल्क शून्य है लेकिन सीएनजी चालित कैब के लिए 600 रुपये और पेट्रोल चालित कैब के लिए 750 रुपये हैं।

सूचना तकनीक उद्योग के निकाय नैसकॉम ने हालिया रिपोर्ट में कहा कि वाहनों की उपलब्धता और मौजूदा आधारभूत ढांचे के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। नैसकॉम ने सुझाव दिया था कि इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को चरणबद्ध ढंग से अपनाना चाहिए।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयुक्त की उपसमिति ने शनिवार को ग्रेडेज रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के 11 सूत्री कार्यक्रम को लागू कर दिया था और इसे लागू करने के तीन चार दिनों में वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ स्थिति में पहुंचने की आशंका जताई गई थी।

First Published : October 24, 2023 | 10:33 PM IST

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