हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मोटर वाहन दुर्घटना के मामले में अहम व्यवस्था दी है। न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने कहा कि एक गृहिणी के कार्य को पैसों के साथ नहीं तौला जा सकता है। एक महिला पूरे परिवार की देखभाल करती है और वह निश्चित रूप से ही मुआवजे की हकदार है। अदालत ने मोटर वाहन दुर्घटना प्राधिकरण ऊना के फैसले में संशोधन कर मुआवजे की राशि बढ़ाई है।
याचिकाकर्ता दिलबाग सिंह को 3,21,500 रुपये का मुआवजा अदा करने के आदेश पारित करते हुए अदलत ने 5,000 रुपये की कॉस्ट भी लगाई है। प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता को सिर्फ 15,000 रुपये का मुआवजा अदा करने के आदेश दिए थे। इस फैसले को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। अदालत ने निचली अदालत के फैसले को संशोधित करते हुए यह निर्णय सुनाया। अदालत के समक्ष दलील दी गई थी कि 16 जून 2007 को उसकी पत्नी मां वैष्णो के दर्शन करने के बाद घर आ रही थी। जिस गाड़ी से वह आ रही थी, वह चालक की लापरवाही से दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
याचिकाकर्ता ने मोटर वाहन दुर्घटना प्राधिकरण ऊना के समक्ष मुआवजे के लिए याचिका दायर की। प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 15,000 रुपये का मुआवजा अदा किया था। अदालत ने अपने निर्णय में कहा था कि याचिकाकर्ता पत्नी की आय को अदालत के समक्ष साबित नहीं कर पाया। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर कहा कि एक महिला के कार्य को पैसों के साथ नहीं तौला जा सकता है। अदालत ने कहा कि यदि गृहिणी को मुआवजा आंकने की बात आती है तो उस स्थिति में महिला की ओर से घर में किए गए कार्यों को देखा जा सकता है।
HP High Court: गृहिणी के कार्य को पैसों के साथ नहीं तौला जा सकता, मोटर वाहन दुर्घटना में दी अहम व्यवस्था - अमर उजाला
Read More
No comments:
Post a Comment