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Friday, June 9, 2023

आरटीआई से प्राप्त सूचना लाइसेंस फर्जी साबित करने को काफी नहीं: हाईकोर्ट - अमर उजाला

मोटर वाहन हादसे में वाहन मालिक के लाइसेंस को फर्जी मानने से कोर्ट का इन्कार
बिना संबंधित कार्यालय के कर्मचारी की गवाही के सूचना को सबूत मानने से किया मना

बीमा कंपनी को पीड़ित को मुआवजा देने से छूट का आदेश कोर्ट ने किया खारिज

अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। मोटर वाहन हादसे के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि केवल आरटीआई से प्राप्त सूचना के आधार पर वाहन चालक के लाइसेंस को फर्जी नहीं माना जा सकता। मोटर वाहन क्लेम ट्रिब्यूनल रोपड़ का फैसला खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी को वाहन मालिक के साथ मिल कर पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश दिया है।

याचिका दाखिल करते हुए मोटर वाहन मालिक रोपड़ के अमनदीप सिंह ने हाईकोर्ट को बताया था कि मोटर वाहन क्लेम ट्रिब्यूनल रोपड़ ने वाहन हादसे में हाथ गंवाने वाले कारपेंटर कर्मजीत सिंह को मुआवजे के रूप में 6.84 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। शिकायत के अनुसार कर्मजीत सिंह अपने पिता के साथ मोटरसाइकिल पर जा रहा था। इस दौरान याची अपनी बाइक पर लापरवाही से आया और शिकायतकर्ता की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इस हादसे के कारण कर्मजीत व उसके पिता गिर गए और बुरी तरह से घायल हो गए।


इलाज के दौरान कर्मजीत सिंह की बाजू काटनी पड़ी थी। बीमा कंपनी ने कहा कि आरटीआई से प्राप्त सूचना से पता चला है कि याची का लाइसेंस फर्जी है और ऐसे में बीमा कंपनी को मुआवजा देने के लिए आदेश नहीं दिया जा सकता। ट्रिब्यूनल ने याची का लाइसेंस फर्जी माना और बीमा कंपनी को मुआवजा देने की बाध्यता से मुक्त कर दिया। याची को राशि का पीड़ित को भुगतान करने का आदेश दिया।

याची ने कहा कि बीमा कंपनी यह कह कर पीड़ित को मुआवजा देने से इन्कार कर रही थी कि याची का लाइसेंस फर्जी था। बीमा कंपनी ने आरटीआई के माध्यम ने नागालैंड के तूनेसांग डीटीओ कार्यालय से याची के लाइसेंस के बारे में जानकारी मांगी थी। आरटीआई जवाब के आधार पर याची के लाइसेंस को फर्जी बताया गया। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिकाकर्ता के लाइसेंस को फर्जी साबित करने में बीमा कंपनी नाकाम रही। केवल आरटीआई की सूचना कोर्ट के समक्ष रखी गई है जो लाइसेंस फर्जी साबित करने को काफी नहीं है। इसके समर्थन में डीटीओ कार्यालय के किसी कर्मचारी की गवाही मौजूद नहीं है। ऐसे में बीमा कंपनी पीड़ित को मुआवजा देने की अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती। ऐसे में कंपनी को याचिकाकर्ता के साथ मिल कर पीड़ित को मुआवजा राशि जारी करने का आदेश दिया है।

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