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Tuesday, November 15, 2022

पहाड़ी राज्‍य में वाहन खरीदते समय सुरक्षा नहीं बजट का ध्यान फिटनेस को नजरअंदाज करना पड़ रहा महंगा.. - दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

Jagran NewsPublish Date: Wed, 16 Nov 2022 09:28 AM (IST)Updated Date: Wed, 16 Nov 2022 09:28 AM (IST)

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। Road Safety With Jagran, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में लोग वाहनों की फिटनेस को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह पुलिस जांच में सामने आ रहा है। इस वर्ष अब तक बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के 749 चालान किए गए। व्यापक स्तर पर जांच की जाए तो सैकड़ों वाहन ऐसे पाए जाएंगे। वाहन खरीदते समय भी लोग सुरक्षा मानकों को ध्यान में नहीं रखते। वे अपने बजट के अनुसार ही वाहन खरीदते हैं। पैसे की बचत फिटनेस जांच के दौरान भी करते हैं। दुर्घटना के दौरान यही बचत मृत्यु का कारण भी बन जाती है। नियमों को ताक पर रखकर वाहनों की फिटनेस जांच हो रही है। इसका पता बड़ी सड़क दुर्घटनाओं के दौरान होने वाली न्यायिक जांच में चला है। इसमें वाहन की फिटनेस को लेकर प्रश्न उठाए गए और अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई। कुछ अधिकारियों पर निलंबन की गाज तक गिरी है।

फिटनेस व नवीनीकरण का प्रविधान

वाहनों की फिटनेस सिर्फ निजी वाहनों के लिए दी जाती है, जबकि व्यावसायिक वाहनों के पंजीकरण का हर वर्ष नवीनीकरण करना पड़ता है। इसमें वाहन की हालत और उपकरणों की कार्यक्षमता को देखा जाता है। निजी वाहनों की फिटनेस पहले नए वाहन को खरीदने के बाद 15 वर्षों के लिए और उसके बाद पांच-पांच साल के लिए होती है। यह फिटनेस एक दिन में सैकड़ों वाहनों को दी जाती है। कई ऐसे वाहन भी होते हैं जो सिर्फ कागजी तौर पर ही फिट होते हैं।

इन मानकों पर होती है जांच

  • सर्टिफिकेशन सेंटर के अंदर वाहन के पहुंचते ही उसका फोटो लिया जाता है।
  • आटोमेटेड मशीन के ट्रैक पर वाहन का पाल्यूशन और साउंड लेवल मीटर की जांच।
  • साइड स्लिप
  • ब्रेक क्षमता
  • एयर बैग
  • स्पीडोमीटर टेस्टिंग
  • ज्वाइंट प्ले
  • हेड लाइट
  • नंबर प्लेट
  • रिफ्लेक्टर टेप
  • विंड स्क्रीन
  • सीट बेल्ट

क्‍या कहते हैं अधिकारी

  • बसों को कंडम घोषित करने के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने नौ लाख किलोमीटर और नौ वर्ष निर्धारित किए हैं। साथ ही तकनीकी तौर पर चलाने के लिए अनुपयुक्त होती है। ये बसों को बदलने के लिए नियम निर्धारित किया है। इसी तरह से सरकारी वाहनों के लिए निर्धारित है। -संदीप कुमार, प्रबंध निदेशक, एचआरटीसी।
  • जब तक गाड़ी चल रही है और मोटर वाहन निरीक्षक (एमवीआइ) फिट बताता है, उसे कंडम घोषित नहीं किया जाता। एमवीआइ के अतिरिक्त एसडीएम और आरटीओ को वाहनों के निरीक्षण और जांच का जिम्मा है। नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है। -आरडी धीमान, मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश  
  • वाहनों की फिटनेस के अतिरिक्त अन्य निर्धारित नियमों को जांचा जा रहा है। सड़क दुर्घटनाओं के लिए लोगों की लापरवाही बड़ा कारण है। लोगों को जागरूक करने के साथ नियमों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। ऐसे वाहनों के चालान भी किए जा रहे हैं जो बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के चल रहे थे। संजय कुंडू, प्रदेश पुलिस महानिदेशक।
  • हिमाचल में ऐसे लोगों की संख्या कम है जो वाहन खरीदते समय सुरक्षा मानकों को देखते हैं। ज्यादातर लोग बजट के आधार और दूसरों को देखकर वाहन खरीदते हैं। सुरक्षा मानक के फीचर जानने वाले कम ही होते हैं। -हरदीप, सेल टेक्निकल, टाटा मोटर।

आंकड़ों पर भी दें नजर

  • 749 चालान इस वर्ष अब तक हुए बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के
  • 2500 से 3000 चालान लापरवाही व सुरक्षा मानक न होने पर प्रतिदिन
  • 98  अधिकारियों व एसडीएम पर फिटनेस व नवीनीकरण का जिम्मा
  • 12 क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) भी जांच में शामिल
  • 9 लाख किलोमीटर और नौ वर्ष बाद होती है बसें कंडम घोषित

इस वर्ष सितंबर तक हुए चालान

  • श्रेणी, संख्या
  • शराब पीकर,5804
  • वाहनों में ओवरलोडिंग,436
  • गाड़ी चलाते मोबाइल फोन,13694
  • बिना ड्राइविंग लाइसेंस,16700
  • लापरवाही,6075
  • तेज गति,23627
  • बिना बीमा,7726
  • बिना फिटनेस प्रमाणपत्र,749
  • बिना सीट बेल्ट,45895
  • बिना हेलमेट,126024
  • अन्य,439794
  • कुल,686532

Edited By: Rajesh Kumar Sharma

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