यही नहीं, अगर अपराध को बार-बार दोहराया गया तो, मोटर वाहन अधिनियम के तहत माता-पिता को 3 साल की जेल भी हो सकती है। पुलिस ने बताया कि कोविड-19 प्रतिबंधों में छूट के बाद स्कूल दोबारा खोले जा रहे हैं, जिसके कारण काफी संख्या में स्कूल जाने वाले बच्चे घर से बाइक या स्कूटर लेकर निकल रहे हैं।
मोटर वाहन कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों का वाहन चलाना गैरकानूनी है। नोएडा पुलिस भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत एक योजना लेकर आई है, जो उन्हें माता-पिता को जुर्माना जारी करने की अनुमति देगा यदि उनके बच्चे दोपहिया वाहन चलाते या कार चलाते हुए पाए जाते हैं।
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, छात्रों को वाहन उपलब्ध कराए जाने के कारण शहर की सड़कों पर लगभग 10,000 ऐसे वाहन चल रहे हैं। फिलहाल एक साल में करीब 90 नाबालिगों को पुलिस पकड़ती है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि नियम का उल्लंघन करने वाले कई लोग इससे बच जाते हैं और स्थिति एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गई है जहां शहर में लगभग 5-7 फीसदी चालक नाबालिग हैं।
नतीजतन पुलिस ने इस नोटिस को स्कूलों के प्रबंधन से भी साझा किया है। पुलिस का कहना है कि नाबालिग बच्चों को गाड़ी देने से माता-पिता पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या तीन साल की जेल हो सकती है।
यह कदम नाबालिग बच्चों को गाड़ी चलाने से रोकने के लिए काफी कारगर साबित हो सकता है। कम उम्र के बच्चे न केवल अपनी जान को खतरे में डालते हैं बल्कि सड़क पर अन्य वाहन चालकों के लिए खतरा बन सकते हैं। पुलिस का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में पुलिस के इस नए नियम का असर दिखना शुरू हो जाएगा।
Noida: नाबालिग बच्चों को वाहन दिया तो कटेगा 25,000 का चालान, 3 साल की होगी जेल - ऑटो न्यूज - DriveSpark
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