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Monday, December 27, 2021

Driving License: अब नहीं देना होगा कोई टेस्ट, बस एक सर्टिफिकेट से बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस, यहां जानिए क्या है नया नियम - अमर उजाला

गाड़ी चलाने और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ की कतारों में अटकें लोगों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस यानी आरटीओ दफ्तर के चक्कर लगाने की और लंबी लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने को लेकर केंद्र सरकार ने नए नियम लागू किए हैं। अब इस प्रक्रिया को और भी आसान कर दिया गया है।  नियमों में किए गए संशोधनों के तहत अब आपको ड्राइविंग टेस्ट देने की कोई जरूरत नहीं है। केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय ने इन नियमों को बदल दिया है, और इसी महिने से नए नियम लागू कर दिए गए हैं। जिसके चलते  करोड़ों लोग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ की वेटिंग लिस्ट में पड़े रहने से राहत मिलेगी। दरअसल, जो एप्लीकेंट्स ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए आरटीओ में अपने टेस्ट का इंतजार मंत्रालय की ओर से उन एप्लीकेंट्स सूचित किया गया है कि, अब उनको किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में रजिस्ट्रेशन करवा कर ट्रेनिंग लेनी होगी। यहीं से टेस्ट को पास करना होगा। 
  • नए नियम के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस को पाने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल से ट्रेनिंग लेकर, वहीं पर टेस्ट पास करना होगा। टेस्ट पास करने पर एप्लीकेंट्स को इस स्कूल की तरफ से एक सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जाएगा। सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से ट्रेनिंग सेंटर्स को लेकर कुछ गाइडलाइंस और शर्तें भी जारी का गई हैं। चलिए इसे विस्तार से समझते हैं। 
  • ट्रेनिंग सेंटर्स में ट्रेनर का कम से कम 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य है। साथ ही कम से कम पांच साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए। यातायात नियमों की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।  
  • अधिकृत एजेंसी को ये सुनिश्चित करना होगा कि दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर्स के पास कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। जबकि मध्यम और भारी यात्री, माल वाहनों या फिर ट्रेलरों की ट्रेनिंग के लिए ट्रेनिंग सेंटर्स के पास दो एकड़ जमीन होगी बेहद जरूरी है।
  • इसके साथ ही मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम निर्धारित किया है, जिसे दो हिस्सों में बांटा गया है थ्योरी और प्रैक्टिकल। जहां हल्के मोटर वाहन के लिए पाठ्यक्रम की अवधि चार हफ्ते की होगी जो 29 घंटों चलेगी। इसमें  लोगों को बुनियादी सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, ग्रामीण सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, चढ़ाई और डाउनहिल ड्राइविंग आदि पर गाड़ी चलाने के लिए 21 घंटे खर्च करने होंगे। पाठ्यक्रम में थ्योरी हिस्सा पूरे आठ घंटे का होगा।

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