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Monday, October 18, 2021

दिल्ली: वाहनों में ईंधन भरवाने के वक्त दिखाना होगा नियंत्रित प्रदूषण का प्रमाण पत्र - अमर उजाला

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: विक्रांत चतुर्वेदी Updated Mon, 18 Oct 2021 04:35 PM IST

सार

प्रदूषण पर शिकंजा कसने के लिए परिवहन विभाग ने बढ़ाई सख्ती। जांच से इंकार करने या भागने पर चालान होगा।

दिल्ली में छाई प्रदूषण की चादर - फोटो : amar ujala

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विस्तार

सर्दियों में प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए परिवहन विभाग ने सभी वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसीसी) की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सभी पेट्रोल और सीएनजी पंपों पर तैनात विभागीय टीम को फिलिंग के दौरान प्रमाण पत्र दिखाना होगा। 
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बगैर प्रमाण पत्र सड़कों पर उतरने वाले वाहनों पर सख्ती
अगर किसी वाहन मालिक के पास प्रमाण पत्र नहीं है और इसकी जांच से इंकार करता है या भागने की कोशिश करता है तो उसपर कार्रवाई की जाएगी। विभाग की ओर से जारी नोटिस में कहा कि बगैर प्रमाण पत्र सड़कों पर उतरने वाले वाहनों पर सख्ती के लिए प्रवर्तन टीमें तैनात की गई हैं।

वाहन मालिकों से परिवहन विभाग ने आग्रह किया
सभी पंजीकृत वाहन मालिकों से परिवहन विभाग ने आग्रह किया है कि फ्यूल स्टेशन पर ईंधन भरवाने के दौरान वैध पीयूसी प्रमाण पत्र दिखाएं। इसकी जांच के लिए परिवहन विभाग की करीब 50 टीमें पंपों पर तैनात की जाएंगी। अगर वाहन मालिकों के पास वैध प्रमाण पत्र नहीं है तो इसे हासिल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। जिन वाहन मालिकों के पास प्रमाण पत्र नहीं हैं उन्हें दंडित करने के बजाय इसे हासिल करने के लिए कहा जाएगा।

अनदेखी की तो हो सकता है 10 हजार का जुर्माना, हो सकती है जेल भी
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की अगर प्रमाण न होने पर अगर कोई जांच से इंकार करता है तो भागने की कोशिश करता है तो चालान किया जा सकता है। अगर वाहन मालिक के प्रमाण पत्र नहीं है तो मोटर वाहन अधिनियम, 1993 की धारा 190 (2) के तहत चालान किया जा सकता है। इसके लिए 10 हजार रुपये तक का जुर्माना या जेल या दोनों कार्रवाई की जा सकती है। 

10-सूत्रीय शीत कालीन कार्य योजना की घोषणा
तीन महीने के लिए ऐसे वाहन मालिकों का लाइसेंस निलंबित कर लिया जाएगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस महीने की शुरुआत में 10-सूत्रीय शीत कालीन कार्य योजना की घोषणा की थी। इसमें वाहनों की जांच के लिए 500 टीमों के गठन सहित पीयूसीसी को सख्ती से लागू करना शामिल था। वाहनों की जांच के दौरान कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड सहित प्रदूषकों के लिए जिम्मेवार उत्सर्जन मानकों के मुताबिक होने पर उन्हें पीयूसी प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।


दिल्ली में 1000 से अधिक प्रदूषण जांच केंद्र
दिल्ली में परिवहन विभाग की ओर से अधिकृत करीब 1,000 प्रदूषण जांच केंद्र हैं। पीयूसी प्रमाणी करण को रीयल-टाइम बनाने के लिए वाहन पंजीकरण डाटाबेस के साथ एकीकृत किया गया है।पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले दोपहिया और तिपहिया वाहनों के मामले में प्रदूषण जांच का शुल्क 60 रुपये है जबकि कार सहित दूसरे चार पहिया के वाहनों के लिए यह 80 रुपये है। डीजल वाहनों के लिए यह शुल्क 100 रुपये है।केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के अनुसार, प्रत्येक मोटर वाहन (इलेक्ट्रिक को छोड़ सभी वाहन) के लिए एक वैध पीयूसी होना जरूरी है।

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