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आजमगढ़। मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण (एमएसीटी) कोर्ट की स्थापना के बाद भी दुर्घटना वाद कोर्ट में शुनवाई शुरू नहीं हो सकी है। एमएसीटी की स्थापना फरियादियों को भागदौड़ से मुक्ति दिलाने के लिए की गई थी। कई माह पूर्व जिले में एमएसीटी कोर्ट स्थापना की मंजूरी मिली। इसके बाद रोडवेज भवन के दूसरे तल पर एमएसीटी की स्थापना की गई। ताकि फरियादी मोटर दुर्घटनाओं से संबंधित मुकदमों में पैरवी के लिए दौड़भाग करने से बच सकेंगे। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण अभी तक कोर्ट का संचालन नहीं हो सका। जनपद में आए दिन किसी न किसी प्रकार की वाहन दुर्घटना होती रहती है। दुर्घटना में वाहन तो क्षतिग्रस्त होते ही हैं, किसी न किसी की मौत या लोग घायल भी हो जाते हैं। मामला पुलिस के पास जाता है, मुकदमा भी दर्ज होता है और पुलिस मामले की रिपोर्ट जनपद न्यायालय में भेज देती है। मामला न्यायालय में लंबित होने पर वाहन काफी दिनों तक थानों में धूल फांकते रहते हैं। कोर्ट के निर्णय बिना उनकी नीलामी प्रक्रिया भी नहीं हो सकती। जनपद न्यायालय में वादों की संख्या ज्यादा होने के कारण जल्द समाधान नहीं हो पाता। एआरटीओ प्रशासन सतेंद्र यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर रोडवेज भवन में मोटर दुर्घटना दावा अभिकरण कोर्ट की स्थापना अलग से की गई है। कोरोना संक्रमण के कारण अभी वह चालू नहीं हो सका है। हालांकि इस कोर्ट में एक जज, तीन बाबू व एक अर्दली की नियुक्ति होनी थी जिसमें तीन बाबू एक अर्दली की नियुक्ति कर ली गई है। अप्रैल माह में कोर्ट का संचालन होना था लेकिन जज की नियुक्ति नहीं हो सकी। जिसके कारण अभी तक कोर्ट का संचालन नहीं हो पा रहा है।
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कोरोना के कारण अब तक नहीं चालू हो सका मोटर दुर्घटना वाद कोर्ट - अमर उजाला
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